जया एकादशी व्रत कथा 23 फरवरी 2021 व्रत का महत्व, समय, विधि, कथा(jaya ekaadashee vrat katha 23 February 2021 vrat ka mahatv, samay, vidhi, katha 

बहुत समय पूर्व की बात है, एक बार शौनकादि 88 हजार ऋषि एकत्रित हुए।उन्होंने विनम्रता पूर्वक सुतजी से पूछा, हमारे मन में एकादशी का महत्व जानने की प्रबल इच्छा है, कृपा हमारी इस जिज्ञासा को शान्त कीजिए।ऋषियों की मन की भावना को जानकर सूतजी बोले, एक वर्ष मे 12 मास होते हैं। प्रत्येक मास में शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष होता है।एक वर्ष में 24 एकादशियाँ होती हैं।कभी-कभी अधिक मास( लौंद) के कारण दो एकादशियाँ बढ़ जाती है।इस प्रकार कुल मिलाकर 26 एकादशियाँ मानी गई है। जिसमें से माघ शुक्ल- पक्ष की जया एकादशी के बारे में आज आपको जानकारी दी जा रही है ।

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जया एकादशी व्रत का महत्व

इस व्रत को करने से मनुष्य को सद्गति प्राप्त होती है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति मुक्त हो जाता है और हर जन्म में सांसारिक सुखों को भोगता हुआ परलोक में मोक्ष प्राप्त करता है।

जया एकादशी के व्रत को करने का समय क्या है?

इस व्रत को माघ मास के शुक्ल- पक्ष की एकादशी को किया जाता है।

व्रत को करने की विधि

इस व्रत को श्री कृष्ण भगवान की धूप-दीप, पुष्प, जल, अक्षत, रोली से पूजा करके आरती उतारनी चाहिए। भगवान को भोग लगाये गए प्रसाद को घर में उपस्थित सभी जनों  को दे कर स्वयं खा लेना चाहिए।

व्रत की कथा

एक समय की बात है कि देवराज इन्द की सभा में एक गंधर्व गीत गा रहा था,लेकिन उसका चंचल मन अपनी नवयौंवना सुन्दरी में खोया था। यह गलती इन्द देव को  बुरी तरह परेशान कर रही थी। उन्होंने क्रोधित होकर उसे श्राप देते हुए कहा, हे दुष्ट गंधर्व तू जिस की याद में मस्त है वह राक्षसी हो जायेगी।
यह सुनकर गंधर्व बहुत घबराने लगा और इन्द्र देव से क्षमा याचना करने लगा। इन्द्र देव के कुछ ना बोलने पर वह अपने घर चला गया। घर आने पर उसकी पत्नी पिशाचिनी के रूप में मिली। उसने श्राप की समाप्ति के लिये अनेक प्रयास किए लेकिन कोई लाभ न हुआ। एक दिन देवर्षि नारद मिले। गंधर्व ने नारद जी को अपना दुःख सुनाया। नारद जी ने गंधर्व पर दया करते हुए कहा, हे गंधर्व! यदि तुम माघ शुक्ल की जया एकादशी को विधि विधान से व्रत करोगे तो शीध्र ही तुम्हारी पत्नी श्राप से मुक्त होकर  आकर्षक एवं सुन्दर शरीर वाली हो जायेगी।
गंधर्व ने नारद देव जी कि आज्ञा का पालन किया और विधि विधान से जया एकादशी का व्रत किया जिसके प्रभाव से उसकी पत्नी पूर्ण रुप से श्राप से मुक्त होकर बहुत अधिक सुंदर शरीर वाली हो गई। वे दोनों इन्द्र लोक में काफी समय तक वैवाहिक जीवन के सुख को भोगते हुए अन्त में मोक्ष को प्राप्त हुए ।

       धन्यवाद

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