गुंजा बीज के चमत्कारिक टोटके
जय माता दी। दोस्तो........
गुंजा एक धनदायक बीज है। इससे अनेक टोने-टोटके तथा कुछ तांत्रिक क्रिया भी की जाती हैं। इसमें औषधीय गुण भी विद्यमान होते हैं। इसलिए यह अनेक प्रकार से लाभकारी है । तो आइये आज जानते हैं गुंजा बीज से किए जाने वाले कुछ चमत्कारिक टोटके -
gunja |
गुंजा -
- गुंजा एक बेल की फली का बीज होता है। इसे कई नामों से जाना जाता है जैसे - चिरमिटी, चौटाली तथा रत्ती आदि। इसकी जड़ दीर्घजीवी होती है। मार्च के महीने के बाद इसकी बेल बिल्कुल सूखने लगती है और मई- जून में इसकी बेल बिल्कुल सूख जाती है। लेकिन इसकी जड़ हरी-भरी बनी रहती है और वर्षा होते ही इसकी जड़ में अंकुर फूट आते हैं।
गुंजा की पहचान -
- गुंजा की बेल के पत्ते इमली की तरह के होते हैं। मटर और सेम के समान ही इसमें फूल आते हैं जो अपने गुलाबीपन के कारण बहुत सुंदर और प्रिय लगते हैं।
- अक्टूबर और दिसंबर में इसकी बेल फलियों से लद जाती हैं। फरवरी से मार्च के बीच में फलियां चटक कर गिर जाती हैं।जमीन पर लाल और काले रंग की गुंजा दिखाई देती है लाल रंग पर काले रंग का धब्बा बहुत सुंदर लगता है।
गुंजा के प्रकार -
- गुंजा की कई जातियां होती हैं। लाल गुंजा, काली गुंजा और सफेद गुंजा।
- लाल गुंजा बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती है। काली एवं सफेद गुंजा बड़ी मुश्किल से मिलती है। लेकिन तांत्रिक प्रयोग में इन सभी की आवश्यकता पड़ती है। वैसे काली एवं सफेद गुंजा का विशेष महत्व माना जाता है, लेकिन लाल गुंजा का भी महत्व कम नहीं है। सफेद गुंजा के स्थान पर लाल गुंजा से काम चलाया जा सकता है।
- गुंजा माप तोल की एक बहुत ही छोटी इकाई है। एक मासे में 12 रत्ती होती हैं। तोल में एक मासे में 12 रत्ती ही चढ़ेंगी।
- कुछ हिंदू परिवारों में विवाह के समय पर वर को लाल गुंजा का कंगन बनाया जाता है, जो कि एक तांत्रिक प्रयोग है। इसके पहनने से नजर का प्रभाव नहीं होता है और यह दांपत्य एवं सुरक्षा की दृष्टि से भी उत्तम उपाय है।
- आदिवासी जाति की महिलाएं इस की माला बनाकर पहनती हैं।
- भगवान कृष्ण जी भी गुंजा की माला का प्रयोग किया करते थे।
गुंजा का औषधीय गुण -
- लाल गुंजा में औषधीय गुण भी विद्यमान हैं। इसमें अमृत और जहर दोनों ही गुण मौजूद हैं।
- वैद्य इसकी जड़ को मुलेठी के नाम से जानते हैं। यह एक मीठी जड़ है। यह खांसी के लिए उपयोग में लाई जाती है।
गुंजा की जड़ का तांत्रिक प्रयोग -
- कारण कुछ भी हो, गुंजा का महत्व तांत्रिक ग्रंथों में ज्यादा ही मिलता है। गुंजा की जड़ अपने घर लाने से एक दिन पूर्व गुंजा की जड़ को निमंत्रण देकर यह कहकर आएं कि हे दिव्य औषधि! समस्त चराचर जगत का उपचार करने वाली जड़ी मैं तुम्हें कल उखाड़ने आऊंगा। तुम्हें, अपने दिव्य गुणों के साथ, मेरे साथ चलना होगा। यह कहकर अगले दिन प्रातः काल बिना टोके इसकी जड़ को एक झटके से उखाड़ कर किसी लाल कपड़े में बांधकर अपने पास रखें। यह बहुत ही काम की चीज है।
गुंजा उखाड़ने का विशेष मुहूर्त -
- यदि इस जड़ को किसी विशेष मुहूर्त में उखाड़ा जाए, तो विशेष लाभकारी सिद्ध होती है। शास्त्रों में इसे उखाड़ने के लिए कुछ विशेष मुहूर्त का उल्लेख किया गया है।
- इनमें गुरु पुष्य योग अति उत्तम माना गया है। इसके अलावा कृष्ण अष्टमी, कृष्ण चतुर्दशी, रवि, पुष्य नक्षत्र, कृष्ण चतुर्दशी उत्तम माने गए हैं।
वशीभूत प्रयोग -
- गुंजा की जड़ को जेब में रखकर कोर्ट कचहरी अथवा उच्च अधिकारी के पास जाएं, तो मान सम्मान मिलेगा।
- यदि इसे चंदन की तरह घिसकर माथे पर लगाया जाए, तो जो भी देखेगा वशीभूत हो जाएगा और आपका मान सम्मान करेगा।
पुत्रदाता प्रयोग -
- रवि पुष्य नक्षत्र में उखाड़ी गई गुंजा की जड़ को किसी ताबीज में बंद करके स्त्री की कमर में बन्धवा दें, तो ऐसी स्त्री को निश्चित रूप से पुत्र की प्राप्ति होती है।
शत्रु नाशक प्रयोग -
- यदि कोई व्यक्ति अपने किराएदार से परेशान है, तो वह इस तंत्र का प्रयोग कर सकता है। यदि लाल गुंजा को संकल्प करके कि 'हे दिव्य औषधि! शत्रु के घर में कलह करा दो तथा शत्रु अपना स्थान छोड़कर भाग जाए।' थोड़े से दाने मंगलवार के दिन उसके घर में डलवा दो तो उसके घर में क्लेश पैदा होगा। यह प्रयोग अत्यंत प्रभावशाली है। इसलिए सोच समझकर ही करें क्योंकि किसी का अनिष्ट करना ठीक नहीं होता है।
काली गुंजा -
- कभी-कभी काली गुंजा भी मिल जाती है इसका तंत्र में विशेष महत्व है
- यदि आपको काली गुंजा मिल जाए तो उसको अन्न के भंडार में रख दो, तो घर में अन्न की वृद्धि होती है
- इसको कमर में धारण करने से काम शक्ति बढ़ती है
- यदि इस को पीसकर काली मां की प्रतिमा को टीका लगाया जाए तो शीघ्र ही काली मां दर्शन देकर उसको मनवांछित फल प्रदान करती हैं।
- यदि अमावस्या के दिन शत्रु के घर उनको अति में डाल दी जाए, तो शत्रु का नाश कर देती है।
- यदि भूत-प्रेत से ग्रसित रोगी के गले में पांच काली गुंजा बांध दी जाएं, तो प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है।
धन्यवाद ।
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