चेहरे की आकृति और ज्योतिष
आकृति के अनुसार चेहरों का
वर्गीकरण किया जा सकता है। कुछ चेहरे वर्गाकार, कुछ गोल, कुछ नाशपाती के आकार के
और कुछ तिकोने होते हैं। ये आकृतियां बहुधा एक-दूसरे के साथ मिली-जुली होती हैं जिससे
लोगों के चरित्र एवं स्वभाव में एक संतुलन उत्पन्न हो जाता है जिससे उनके चरित्र
एक ही गुण प्रधान न होकर मिश्रित रूप प्राप्त कर लेते हैं। अच्छे अनुपात वाले
चेहरे की चौड़ाई उसकी लंबाई की दो तिहाई होती है। चेहरे की लंबाई गहनता बताती है
और चौड़ाई सहनशीलता। वर्गाकार अथवा आयताकार चेहरे में प्रेरक शक्ति की प्रधानता
होती है। उसकी बुद्धि सृजनात्मक, तीक्ष्ण, सशक्त और नेतृत्व की क्षमता से सम्पन्न
होती है। उसके विचारों और कार्यों में पूर्ण समन्वय होता हैं।
निश्चयात्मक स्वभाव वाले व्यक्तियों का चेहरा गोल होता है। वह
प्रतिभा सम्पन्न, परिश्रमी, उदार, आमोद-प्रिय तथा दायित्व की भावना से शून्य
किन्तु व्यावहारिक होते हैं। धन कमाने में कुशल तथा सफल व्यवसायी होते हैं। कम से
कम प्रयत्न से अधिक से अधिक धन कमा लेते हैं। मित्र बनाने में तो इतने कुशल होते
हैं कि साधारण परिचय को स्थायी मित्रता में बदल लेते हैं। कोई भी बाधा उनकी सफलता
को नहीं रोक सकती।
नाशपाती के आकार वाला चेहरा ओजस्वी स्वभाव का घोतक है। इसका शरीर और
स्वास्थ्य कोमल होता है, परन्तु कला, ललित कला तथा हस्त कलाओं में वह निपुण होता
है, चाहे शिल्प हो, संगीत हो, चाहे साहित्य हो या चित्रकला हो।
तिकोने चेहरे वाले व्यक्ति
का स्वभाव नाशपाती के आकार वाले चेहरे के सर्वथा विपरीत होता है। वह आत्म-केंद्रित
तथा स्वार्थी होता है। चेहरा मांसल और बहुधा भद्दा होता है। वह आलसी और वासनापूर्ण
रूचियों से ओत-प्रोत होता है। यह सौभाग्य की बात है कि इस प्रकार के चेहरे कम ही
मिलते हैं।
मोटे तौर से हम कह सकते
हैं कि विशाल अंग मस्तिष्क के विस्तार के घोतक है तो छोटे अंग चरित्र की दुर्बलता
के। छोटे और समानुपातिक अंग साधारण एवं महत्वहीन चरित्र का परिचय देते हैं।
जो अंग भली-भांति विकसित
हों, वह कम आकर्षक होने पर भी सशक्त चरित्र का संकेत देते हैं। यदि अंगों का
संतुलन सही अनुपात में है तो व्यक्ति का स्वभाव और चरित्र भी सन्तुलित होते हैं।
यदि अंगों की रचना असाधारण रूप से श्रेष्ठ हो तो व्यक्ति असाधारण प्रतिभा का धनी
होता है।
एक बात सदैव स्मरण रखनी
चाहिए कि हमारे हृदय और मस्तिष्क की वे भावनाएं हमारे अंग-प्रत्यंग तथा चेहरे के
भावों को अस्वस्थ प्रभावित करती हैं जो हमारे ऊपर समय-समय पर हावी हो जाती हैं।
इच्छा-शक्ति या उसका अभाव, आत्म-नियंत्रण अथवा आत्मकेन्द्रीयता, सरलता या
चिड़चिड़ापन, कर्मशीलता अथवा आलस्य ऐसे गुण और लक्षण हैं जो हमारे चेहरे को
अनिवार्य रूप से प्रभावित करते हैं। जिस प्रकार आप जीवन में व्यवहार करेंगे, वैसे
ही लोगों को दिखाई देंगे।
चेहरे के रंग
जहां मानव शरीर के अनेक
लक्षण मानवीय भावनाओं को प्रगट करते हैं, उसके चरित्र को उजागर करते हैं, वहां
चेहरे के रंग भी मनुष्य के स्वभाव एवं उसके चरित्र को समझने में सहायक होते हैं।
चेहरे का रंग मनुष्य के सौन्दर्य, स्वास्थ्य एवं रोगों को अभिव्यक्त करने के
साथ-साथ उसके चरित्र में अन्तर्हित अनेक विशेषताओं को भी प्रगट करता है।
यदि किसी स्त्री का चेहरा
सफेद रंग का हो तो वह उसके सुंदर होने का बोध कराता है। साथ ही वह यह भी बताता है
कि वह व्यक्ति - चाहे स्त्री हो या पुरुष - विलासिता का जीवन पसंद करता है। सफेद
चेहरे वाले पुरुष में नारियों के गुण होते हैं और वह दुर्बल स्वभाव का तथा
अदूरदर्शी होता है।
यदि चेहरा भूरा हो और
उसमें सफेदी का मिश्रण न हो तो ऐसा व्यक्ति अत्यधिक बातूनी होता है। उसे छोटी-छोटी
बातों पर क्रोध आ जाता है। वह बिना सोचे-समझे - जो मुंह में आता है बोलता रहता है।
वह इस बात की चिंता नहीं करता कि उसके कथन के क्या परिणाम हो सकते हैं। ऐसे
व्यक्ति निर्दयी भी होते हैं। जो लोग बार-बार धर्म परिवर्तन करते हैं, वे बहुधा
इसी रंग के चेहरे वाले होते हैं।
यदि चेहरा पीला हो या
उसमें रांगे जैसी झाईं हो और ललाट लाल रंग का हो, आंखें धंसती हुई हों तो ऐसा
व्यक्ति अपनी वासनाओं का दास तथा क्रोधी स्वभाव का होता है। यह सदैव खोया-खोया,
उदास एवं चिंता ग्रस्त रहता है। अपने वातावरण तथा निकटवर्ती लोगों के प्रति सदैव
सशंक रहता है। उसके मन में निरंतर यह संदेह बना रहता है कि लोग उसके विरूद्ध कोई न
कोई षड्यंत्र रच रहे हैं। इसी धारणा के वशीभूत होकर वह अपने निकटतम सम्बन्धियों को
भी अविश्वास की दृष्टि से देखता है।
यदि चेहरा केवल पीले रंग
का हो तो वह इस बात की सूचना देता है कि मनुष्य का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, वह रोग
से पीड़ित है।
यदि चेहरे का रंग गुलाबी
हो तो व्यक्ति सभ्य, नेक, बुद्धिमान और परोपकारी होता है।
सफेद और लाल रंग मिश्रित
चेहरे वाले व्यक्ति खुशमिजाज तथा आनंद-प्रमोद में रुचि रखने वाले होते हैं। लोगों
से विभिन्न विषयों पर वार्तालाप करने का भी इन्हें विशेष चाव होता है। परंतु जितना
चाव बातचीत का होता है, उतना उद्यम करने का नहीं होता। इसलिए परिश्रम करके जीविका
कमाने का उत्साह इनमें कम ही दिखाई देता है।
जिस व्यक्ति का चेहरा लाल वर्ण का होता है, वह
क्रोधी स्वभाव का होता है। उसके विषय में निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता है कि कब
और कौन सी बात उसके क्रोध को भड़का देगी। उसका पारिवारिक एवं दाम्पत्य जीवन प्रायः
कलहपूर्वक रहता है।
जिस मनुष्य का चेहरा
बैंगनी या रांगे जैसे रंग का होता है। वह स्वभाव से शरारती होता है। छल, कपट,
जालसाजी आदि के कार्यों में पारंगत होता है।
चेहरे के विषय में कुछ और
तथ्य
चेहरे की आकृतियों के विषय
में कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं –
यदि चेहरा भरा हुआ और
मांसल हो तो व्यक्ति प्रसन्नचित्त, हंसमुख, उदार, विचारशील तथा विलासप्रिय होता
है
दुबला-पतला चेहरा
बुद्धिमता तथा अच्छी सूझ-बूझ एवं समझदारी का संकेत देता है, किन्तु ऐसे व्यक्ति की
प्रवृत्ति दयालुता की अपेक्षा क्रूरता की ओर अधिक होती है।
यदि चेहरा गोल हो तो
मनुष्य सरल बुद्धि वाला होता है और उसका चरित्र अधिक विश्वसनीय नहीं होता।
यदि चेहरा लम्बा और पतला
हो तो ऐसा मनुष्य बातचीत में धृष्ट एवं उद्दण्ड तथा अपने कार्यों में आवश्यकता से
अधिक दुस्साहस का परिचय देने वाला होता है।
चौड़ा और मोटा चेहरा बताता
है कि मनुष्य विदूषक स्वभाव का हंसी-मजाक करने वाला तथा शेखीखोर है। वह छोटी
से छोटी बात का वर्णन बहुत बढ़ा चढ़ाकर करता है।
यदि चेहरे का ऊपरी भाग
निम्न भाग की अपेक्षा अधिक चौड़ा हो तो यह बुद्धिमानी का संकेत देता है।
यदि चेहरे का निम्न भाग ऊपर
के भाग की अपेक्षा चौड़ा हो तो ऐसे मनुष्य में पशुओं के लक्षणों की प्रधानता होती
है।
एक टिप्पणी भेजें