सिर के आधार पर व्यक्ति की पहचान

सिर के आकार

जब हम किसी व्यक्ति को देखते हैं तो हमारा ध्यान सबसे पहले उसके सिर की ओर जाता है। वैसे भी आकृति की दृष्टि से सिर का स्थान चेहरे से पहले आता है।
सिर के आधार पर व्यक्ति की पहचान
Types of Head

साधारणतया सिर को 8 भागों में विभाजित किया जाता है जो इस प्रकार है। 1. लंबा सिर, 2. छोटा सिर, 3. वर्गाकार सिर, 4. गोल सिर, 5. ऊंचा सिर, 6. ऊंचा संकरा सिर, 7. ऊंचा चौड़ा सिर और 8. नीचा प्रशस्त सिर। सिर के आकार को भली-भांति समझने के लिए उस व्यक्ति को पीछे से देखना चाहिए।

लम्बा सिर -

जो सिर भृकुटी से लेकर सिर के पिछले भाग तक लम्बाई में चला गया हो, लम्बा सिर कहते हैं। लम्बा सिर प्रायः पुरुषों के कम, स्त्रियों के अधिक होते हैं। ऐसे लोग अत्यन्त संवेदनशील और मर्यादावादी होते हैं। अपने मित्रों एवं परिवार के प्रति निष्ठावान होते हैं। ये लोग चाहे स्त्री हो या पुरुष - यह तो चाहते हैं कि लोग उनके कार्यों और सौंदर्य की सराहना करें, परन्तु झूठी चापलूसी पसन्द नहीं करते हैं। ये लोग इतने विवेकशील होते हैं कि वास्तविक प्रशंसा और चापलूसी का अन्तर समझ सकें। वे स्वयं भी अपने कार्यों के महत्व को समझते हैं और उस पर गर्व भी करते हैं। जहां वे अपने प्रियजनों की रक्षा के लिए बड़े से बड़े संकट से जूझने को तैयार रहते हैं वहां अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कड़े से कड़ा संघर्ष करने में भी नहीं हिचकते। ये लोग भविष्य के लिए खूब लम्बी-चौड़ी योजनाएं बनाते हैं और उनकी सफलता के सम्बन्ध में समय से पहले ही आशाएं बांधने लगते हैं।

छोटा सिर -

इस सिर का आकार भृकुटी से लेकर पिछले भाग तक होता है। छोटा सिर वाले व्यक्ति न तो भूतकाल के सपनों में खोए रहते हैं और न ही भविष्य की चिन्ता करते हैं। वे तो केवल वर्तमान को ही महत्व देते हैं और वर्तमान काल में ही जीना चाहते हैं। नये-नये मित्र बनाने और लम्बी यात्राएं करने के शौकीन होते हैं। अपने आचरण और व्यवहार से जितनी शीघ्रता से लोगों को अपना मित्र बनाते हैं, उतनी ही शीघ्रता से अपनी स्वार्थपरायणता के कारण उनकी मैत्री से हाथ भी धो बैठते हैं। ऐसे लोग बहुत फुर्तीले और बहुमुखी प्रतिभा के धनी होते हैं।

वर्गाकार सिर -

जो सिर आगे और पीछे की ओर चपटा होता है, वह वर्गाकार कहलाता है। ऐसा व्यक्ति अपने व्यवहार में सतर्क और हठी होता है। निर्णय लेने से पहले बहुत सोच-विचार करता है। परंतु जब कोई निर्णय ले लेता है तो उस काम में जी जान से लग जाता है और उसमें सफलता प्राप्त करके ही दम लेता है। इस प्रकार के लोग पूर्णतया विश्वसनीय होते हैं। ऐसे लोग रूढ़ीवादी तथा कुछ अंधविश्वासी होते हैं। इनमें मौलिक सूझबूझ और नेतृत्व क्षमता का अभाव होता है। व्यवहार कुशल कम, किन्तु लट्ठमार अधिक होते हैं। इसीलिए इनके सच्चे मित्र कम होते हैं। ये बातचीत और रहन-सहन में तो फूहड़ होते ही हैं, किंतु इनके स्वभाव की एक विचित्रता यह है कि अपनी प्रशंसा करने वालों को भी अनेक बार झिड़क देते हैं।

गोल सिर -

जिन व्यक्तियों का सिर गोल होता है उन्हें अपने ऊपर गहरा विश्वास होता है। इस विश्वास की अधिकता के कारण वे बहुधा उच्छृंखल और उतावले हो जाते हैं। दूसरे लोगों की तर्कसंगत बात पर भी ध्यान देने को तैयार नहीं होते। आत्मविश्वास की झोंक में किसी भी नए काम को करने के लिए तैयार हो जाते हैं। उस समय उन्हें इस बात की चिन्ता नहीं होती कि जो काम उनके हाथ में है, उसका क्या होगा। परिणाम यह होता है कि किसी एक काम से बंधकर नहीं रहते। उन्हें प्रत्येक नया कार्य आकर्षक और लुभावना लगता है, चाहे उस कार्य में उनकी गति हो या न हो।

ऊंचा सिर -

जिस व्यक्ति के सिर का आकार ऊंचा होता है, वह स्वभाव से सौम्य, दयालु, परोपकारी और मानवता प्रेमी होता है। वह सदैव इस बात का ध्यान रखता है कि उसके किसी कार्य से किसी भी व्यक्ति या प्राणी को दुख न पहुंचे। वह सुदृढ़ धार्मिक विचारों का होता है। उसका धर्म साम्प्रदायिक कट्टरता से रहित होता है। वह सदैव और सर्वत्र ईमानदार, विश्वसनीय तथा कर्तव्यपरायण बना रहता है। अपने समस्त कार्यों को नियम एवं निष्ठापूर्वक करता है।

ऊंचा संकरा सिर -

ऐसा व्यक्ति अत्यधिक आशावादी होता है। वह सदा यह मानकर चलता है कि सभी कार्य और परिस्थितियां उसके अनुकूल हो जाएंगी। अपनी आशा को क्रियान्वित होते हुए देखने के लिए वह प्रत्येक कार्य को पूरी लगन से करता है। वह तन मन से पूरा आस्तिक होता है और यह मानता है कि उसे अपने प्रत्येक शुभ कार्य में दैवी आशीर्वाद एवं सहायता प्राप्त है। आशावादी होते हुए भी वह कोई नया कार्य आरम्भ करके या नया मार्ग अपनाकर अपने लिए खतरा मोल लेना नहीं चाहता। वह उसी मार्ग को अपनाना चाहता है जिसका अनुसरण करते पूर्ववर्ती लोग उसे निरापद सिद्ध कर चुके होते हैं। ऐसे लोग अन्वेषक या आविष्कारक कभी नहीं हो सकते।

ऊंचा और चौड़ा सिर -

जिस व्यक्ति का सिर ऊंचा और पीछे की ओर चौड़ा हो, वह झगड़ालू प्रकृति का होता है। अपने अधिकारों के लिए वह किसी से भी संघर्ष करने के लिए तैयार रहता है। झगड़ालू होते हुए भी वह पूर्णतया विश्वसनीय होता है। यदि उसे कोई गुप्त अथवा गोपनीय बात बता दी जाए तो वह तीव्र मतभेद या भयंकर झगड़ा हो जाने पर भी वह उस गोपनीय बात का रहस्य उद्घाटन कभी नहीं करेगा। जितना वह स्वयं विश्वसनीय है, उतना ही वह मानव प्रकृति पर भी विश्वास करता है। उसके व्यवहार में सौम्यता कम होती है। वह स्पष्टवादिता में अधिक विश्वास करता है। वह यह नहीं सोचता कि उसकी बात किसी को अच्छी लगेगी या बुरी और कहीं उसकी मित्रता पर आंच तो नहीं आएगी। उसका व्यवहार भी अनेक बार लोगों के प्रति रुखा हो जाता है। चूंकि उसका सिर चौड़ा होने के साथ-साथ ऊंचा भी है। इसलिए उसकी दृढ़तर शक्तियां संयमित रहती हैं।

नीचा प्रशस्त सिर -

जो सिर कानों के ऊपर की ओर नीचा तथा दोनों कानों के मध्य में चौड़ा हो उसे नीचा प्रशस्त  सिर समझना चाहिए। ऐसे सिर वाला व्यक्ति भौतिकतावादी और स्वभाव तथा लेनदेन में पूर्णतया व्यवहारिक होता है। ऐसा व्यक्ति पूर्णतया अपनी इंद्रियों का दास होता है। अर्थात् वह सदैव वे ही कार्य करना पसंद करता है जो उसे देखने, सुनने, सूंघने, खाने और स्पर्श करने में अच्छा लगे। ऐसे व्यक्तियों में कल्पना करने तथा तर्क शक्ति का प्रायः अभाव होता है। उनमें स्वभाव की दृढ़ता अवश्य होती है। इसी दृढ़ता के बल पर वे बड़ी से बड़ी बाधाओं का सामना कर लेते है। इनमें स्वार्थ भावना की प्रबलता होते हुए भी इन्हें लोगों का सहयोग मिल जाता है और वे मिलनसार माने जाते हैं। इनमें कार्य करने की अद्भुत क्षमता होती है। ये बिना थके और बिना ऊबे घंटों तक शारीरिक परिश्रम कर सकते हैं। इस प्रकार का कोई कार्य उन्हें नीरस नहीं लगता। इनकी इस क्षमता का दूसरे लोग भी अपनी चतुराई से दिल खोलकर लाभ उठाते हैं।


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