ज्योतिष में गाय का महत्व
गाय सामान्य रूप से भारत के प्रत्येक व्यक्ति के मन में रची-बसी है, इसलिए गाय के प्रति भारतीय आस्था को अभिव्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है ।भारतीय ग्रंथों मे गाय की सेवा को एक कर्तव्य के रूप में माना गया है। गाय सृष्टि की माता कही जाती है। ज्योतिष में भी गाय का बहुत महत्व है।
cow importance |
विवाह के समय गाय का महत्व
ज्योतिष में गोधूलि का समय विवाह के लिए सबसे उत्तम माना गया है। गोधूलि काल वह समय है जब सूर्य अस्त न हुआ हो और गो आदि पशु भूमि को चरकर वापिस लौट रहे हों और उनके पैरों से उछल कर धूल आकाश में छा गई हो । ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यह समय सबसे शक्तिशाली है ।यात्रा के समय गाय का महत्व
- यदि किसी यात्रा के प्रारंभ में गाय सामने आ जाए या अपने बछड़े को दूध पिलाती दिख जाए तो यात्रा सफल होती है।
- यदि रास्ते मे जाते समय गाय आती दिखाई दे तो उसे अपने दायीं ओर से जाने देना चाहिए, यात्रा सफल होगी।
गाय द्वारा जन्मपत्री में ग्रह सम्बन्धी दोषों का निवारण
- जन्मपत्री में यदि शुक्र अपनी नीच राशि कन्या पर हो, शुक्र की दशा चल रही हो या शुक्र अशुभ भाव में स्थित हो तो प्रातःकाल के भोजन में से एक रोटी सफेद रंग की गाय को खिलाने से शुक्र का नीचत्व एवम् शुक्र सम्बन्धी दोष स्वयं ही समाप्त हो जाता है।
- देशी गाय की पीठ पर जो कूबड़ होता है, वह बृहस्पति है। अतः जन्मपत्री में यदि बृहस्पति अपनी नीच राशि मकर में हो या अशुभ स्थिति में हो तो गाय के इस कूबड़ के दर्शन करने चाहिऐ तथा गुड़ और चने की दाल रोटी में रखकर गाय को दें।
- गाय की आँखों में प्रकाश स्वरूप सूर्य तथा ज्योत्सना के अधिष्ठाता चन्द्रदेव का वास होता है इसलिए यदि जन्मपत्री में सूर्य- चन्द्र कमजोर हो तो गाय की आँखों के दर्शन करें, लाभ होगा।
- यदि किसी व्यक्ति को पितृदोष हो तो गाय को प्रतिदिन या अमावस्या को रोटी, गुड़ और चारा आदि खिलाने से पितृदोष समाप्त हो जाता है।
- किसी की जन्मपत्री में सूर्य नीच राशि तुला पर हो या अशुभ स्थिति में हो अथवा केतु के द्वारा परेशानियाँ आ रही हों तो गाय की पूजा करनी चाहिए, दोष समाप्त हो जाएंगे।
- यदि बुरे सपने दिखाई दें तो व्यक्ति गाय माता का नाम ले, बुरे सपने दिखाई देने बन्द हो जाएंगे।
- ग्रहों के अनिष्ट निवारण हेतु गाय को चारा खिलाने तथा गोदान की विधि ज्योतिष ग्रंथों में विस्तारपूर्वक दी गई है ।
हस्तरेखा विज्ञान में गाय का महत्व
- गाय के दूध और घी से व्यक्ति दीर्घायु होता है क्योंकि गाय के घी का एक नाम आयु भी है । अतः यदि हस्तरेखा में आयुरेखा टूटी हुई हो तो गाय के घी का उपयोग करें तथा गाय की पूजा करें।
गोमाता द्वारा वास्तुदोष का निवारण
- जिस स्थान पर भवन, घर का निर्माण करना हो, यदि वहाँ पर बछड़े वाली गोमाता को लाकर बाँधा जाए तो वहाँ सम्भावित वास्तुदोषों का स्वयं ही निवारण हो जाता है, कार्य बिना बाधा के पूरा होता है और पूरा होने तक आर्थिक बाधाएँ भी नहीं आतीं।जिस घर में गाय होती है, उस घर में वास्तुदोष स्वयं ही समाप्त हो जाता है।
प्राचीन ग्रंथों में गाय का महत्व
- ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि जिस घर में गाय की सेवा की जाती है, वहाँ पुत्र-पौत्र, धन, विद्या आदि सुख जो भी चाहिए, मिल जाता है । गाय को घर में पालना बहुत लाभकारी होता है। इससे घरों में सभी बाधाओं और विघ्नों का निवारण हो जाता है। बच्चों में भय नहीं रहता।
विष्णुपराण
- विष्णुपराण में भी गोमाता के लाभों का वर्णन किया गया है इसमें एक कथा आती है कि जब श्रीकृष्णजी राक्षसी पूतना का दूध पीने से डर गए तो नन्द दम्पति ने गाय की पूँछ घुमाकर उनकी नजर उतारी और भय को दूर कर दिया।
महाभारत
- महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है कि गाय जहाँ बैठकर निर्भयता पूर्वक साँस लेती है, उस स्थानों के सारे पापों को खींच लेती है।
कूर्मपुराण, पद्मपुराण
- कूर्मपुराण और पद्मपुराण में कहा गया है कि कभी गाय को लांघकर कहीं नहीं जाना चाहिए। किसी भी साक्षात्कार, उच्च अधिकारी से मिलने जाते समय यदि गाय की आवाज सुनाई दे जाए तो शुभ होता है।
स्कन्दपुराण, शिवपुराण
- स्कन्दपुराण और शिवपुराण में कहा गया है कि गाय की सेवा एवम् गाय का दान करने से यम का भय नहीं रहता।
गाय के पाँव की धूलिका का भी बहुत महत्व है। गाय के खुरों से उड़ने वाली धूल समस्त पापों का नाश करती है । इस प्रकार गाय सभी के लिए कल्याणकारी है ।
धन्यवाद ।
एक टिप्पणी भेजें