Basant Panchami, Saaraswati Puja 2021, Date, timing बसंत पंचमी के दिन किस समय करें मां सरस्वती की पूजा महत्व और मंत्र


basant panchmi pujan vidhi
basant panchmi

वसंत पंचमी 2021(basant panchmi 2021)

वसंत पंचमी पूजा शुभ मुहूर्त(basant panchmi pooja shubh muhurat)

तिथि व दिन- मंगलवार 16 फरवरी 2021
पंचमी तिथि आरंभ- सुबह 3 बजकर 36 मिनट से 
मध्याह्न काल- दोपहर 12 बजकर 35 मिनट 
सरस्वती पूजा तथा शुभ मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 39 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक
कुल अवधि- 5 घंटे 35 मिनट 
पंचमी तिथि समाप्त- फरवरी 17,2021 को सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर 

वसंत पंचमी का महत्व (basant panchmi ka mahatva)

शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी मनायी जाती है। इस दिन से वंसत ऋतु की शुरुआत होती है।यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। आज के दिन बिना किसी शुभ मुहूर्त के किसी भी काम की शुरुआत की जा सकती है। अबूझ मुहूर्त के कारण इस दिन कई शुभ कार्य किए जाते हैं। यह दिन विद्या आरम्भ ,वागदान,यज्ञोपवीत आदि संस्कारो के लिए श्रेष्ठ  है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन माँ सरस्वती का जन्मोत्सव भी है जिनको ज्ञान एवं संगीत की देवी माना जाता है।

वंसत पंचमी की पूजा विधि (basant panchmi ki pooja vidhi)

वंसत पंचमी की पूजा दिन के समय की जाती है। पूजा करते समय पीले वस्त्र धारण करने चाहिए एवं पीले फूल तथा हल्दी का प्रयोग करें। तामसिक भोजन का प्रयोग न करें। इस दिन शिक्षा और साहित्य से जुड़े लोगों को माँ सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। पवित्र नदी में स्नान करना फलदायक है। घर में भी पानी मे गंगाजल डाल कर स्नान कर सकते हैं ।

बसंत पंचमी पर पीले रंग का क्या महत्व है?( basant panchmi par yellow colour ka kya mahatva hai)

पीला रंग इस बात का घोतक है की फसलें पकने वाली हैं। पीला रंग समृद्धि का सूचक भी कहा गया है। बसंत ऋतु शुरू होने के दौरान फूलों पर बाहर आ जाती है। खेतों में सरसों के फूल सोने की तरह चमकने लगते हैं। और गेहूं की बालियां खिल उठती हैं।और रंग बिरंगी तितलियां उड़ती दिखने लगती हैं।

देवी रती और  भगवान कामदेव की पूजा(devi rati aur bhagwan kaamdev ki pooja)

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन वैवाहिक जीवन वाले इनकी पूजा करते हैं तो उनके जीवन में खुशियां आती हैं

सरस्वती पूजा मंत्र(Saraswati pooja mantra)

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥

शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥
हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्‌॥2॥


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