मूंगा रत्न

जय माता दी। दोस्तों ....

मूंगे को संस्कृत भाषा में प्रवाल या विद्रुम कहते हैं। हिंदी में मूंगा, फारसी या उर्दू में सरजाल, अंग्रेजी में कोरल कहा जाता है। मूंगा खान से निकलने वाला रत्न नहीं है। यह समुद्र से निकाला जाता है। देखने में इसका रूप बेल की शाखाओं जैसा होता है। मूंगे की बनावट छोटी-छोटी नालियों के समान होती है जो एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं। मूंगा हर समुद्र में पैदा नहीं होता। जिस समुद्र में इसके लिए तापमान और गहराई अनुकूल होती है,  उसी स्थान में मूंगा पैदा होता है।

coral stone
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मूंगे का रंग -

मूंगे का रंग सिन्दूरी होता है। सिंगरफ के समान रंग का भी मूंगा होता है। मूंगा श्वेत वर्ण तथा पीत आभायुक्त (क्रीम कलर) में भी पाये जाते हैं। मूंगे का रंग लाल के साथ-साथ कालापन लिए हुए भी होता है। गहरा लाल, हल्का लाल भी मूंगा होता है। सिन्दूरी  (ऑरेंज) कलर का मूंगा हनुमान जी के उपासक धारण करते हैं। इसे हनुमान जी का रंग भी कहते हैं। हनुमान उपासकों के लिए बहुत ही लाभकारी है। अनेक हनुमान भक्तों को लाल रंग का मूंगा पहने देखा गया है जबकि लाल रंग हनुमान जी का नहीं है। हनुमान भक्तों को सिन्दूरी रंग का मूंगा ही धारण करना चाहिए। पेड़ से पैदा हुए मूंगे में धब्बा, दुरंगापन सफेद छींटा कहीं न कहीं पर उभरी हुई दिखाई देती है। यह सब उसका प्राकृतिक स्वरूप है। नकली बनावटी मूंगे एक रंग के बिना दाग-धब्बे के सुन्दर दिखाई देते हैं

आयुर्वेद में मूंगा -

मूंगे को केवड़ा या गुलाब जल में घिसकर गर्भवती स्त्री के पेट पर लेपन करने से गिरता हुआ गर्भ रुक जाता है। मूंगे को गुलाब जल में घिसकर छाया में सुखाने से प्रवाल पिस्टी तैयार होती है। पिस्टी मधु के साथ खाने से शरीर पुष्ट होता है। पान के साथ खाने से कफ और खांसी में लाभ होता है। मलाई के साथ खाने से शरीर को गर्मी तथा हृदय की धड़कन को लाभ होता है।

ज्योतिष में मूंगा -

मान्यताओं के अनुसार सुहागिन स्त्रियों को मूंगा धारण करने से सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिन लोगों को रात में बुरे सपने आते हैं और भूत-प्रेत का भय होता है, उन्हें मूंगा धारण करने से कई प्रकार की परेशानियों से राहत मिलती है। मूंगा के विषय में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति इसे धारण करता है वह अगर रोग से पीड़ित होता है, तो इसके रंग में बदलाव आने लगता है, जो व्यक्ति के स्वस्थ होने पर पुनः अपने वास्तविक रंग में लौट आता है। बौद्ध अभिलेखों में मूंगा के विषय में कहा गया है कि यह मानसिक रोग को दूर करने वाला है। यह बौद्धिक क्षमता को बढ़ाता है। मूंगे का ताबीज रत्न स्राव को रोकने में कारगर होता है।

धारण करने की विधि -

मूंगे को कम से कम 8 रत्ती और 11 रत्ती से ऊपर का पहनना चाहिए। सोने और अष्ट धातु में पहनने से शीघ्र  लाभकारी होता है। मूंगा, मेष, सिंह, वृश्चिक राशि वालों को अत्यधिक  लाभकारी होता है। मूंगे को मंगलवार के दिन सांयकाल के समय गर्दन, भुजा या अंगुली में धारण करना चाहिए अथवा मूंगे को अंगूठी में जड़वाकर मंगलवार को हनुमान जी के चरणों से स्पर्श कर रिंगफिंगर वाली अंगुली में धारण करना चाहिए।

धन्यवाद।

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