चैत्र नवरात्रि सन् 2020 ईस्वी

जय माता दी... दोस्तों,
 आप सभी को चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।  मैं आज अपनी इस पोस्ट के माध्यम से आपको बताऊंगा कि नवरात्रि कब से शुरू हैं। आपको पसंद आए तो कमेंट बॉक्स में जय माता दी अवश्य लिखें।
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नवरात्रि कब से शुरू हैं एवं घट स्थापना किस तरह की जाती है-

हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत बड़ा महत्व है। एक महाशक्ति की उपासना का यह पर्व साल में 4 बार आता है- चैत्र, आषाढ़, अश्विन, माघ। चैत्र और अश्विन मास के नवरात्रे को शारदीय नवरात्रों के नाम से एवं आषाढ़ और माघ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रों के नाम से जाना जाता है। 9 दिन तक चलने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की अलग-अलग पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा का जन्म हुआ था और मां दुर्गा के कहने पर ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नव वर्ष शुरू होता है।

वैज्ञानिक महत्व-

हिंदुओं के पवित्र नवरात्र के पीछे एक वैज्ञानिक आधार भी है।पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा काल में 1 साल की चार ऋतु-संधियां होती है। ऋतु संधियों में अक्सर शारीरिक बीमारियां बढ़ती हैं। अतः इस समय स्वस्थ रहने के लिए और शरीर को शुद्ध रखने के लिए नवरात्रों को मनाया जाता है। पुराणों में हमारे शरीर को नौ मुख्य द्वारों वाला कहा गया है। अतः इन नौ द्वारों की शुद्धि का पर्व 9 दिन तक मनाया जाता है।

शुभ मुहूर्त-

बुधवार की चंद्रमा की होरा में प्रातः काल 6:19 मिनट से प्रातः काल  7:17 मिनट तक कलश स्थापना प्रतिपदा में करना शुभ होगा।
प्रतिपदा शुरू होगी- 24 मार्च मंगलवार शाम 2:57 मिनट पर  प्रतिपदा समाप्त होगी- 25 मार्च बुधवार शाम 5:26 मिनट पर कुल अवधि- 58 मिनट।

घटस्थापना, जौ बुआई एवं अखंड ज्योति-

देवी दुर्गा के नवरात्रि का आरंभ घटस्थापना से शुरू होता है।शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन प्रात: काल स्नानादि से निवृत्त हो, स्वच्छ वस्त्र धारण करके, व्रत का संकल्प लें। इसके पश्चात मिट्टी की वेदी बनाकर जौ बो लें एवं इस वेदी पर घट या कलश स्थापित करें। एक नारियल स्थापित कर विधिवत् पूजन करें और मां का सिंगार  रोली, चावल, सिंदूर, फुल, चुनरी, आभूषण एवं सुहाग से करें एवं दुर्गा सप्तशती का पाठ करना शुभ होगा। पूजा के समय अखंड ज्योति दीप जलाकर 9 दिन तक देवी मां की भक्ति एवं आराधना करें।

चैत्र नवरात्रि के 9 दिन-

माता शैलपुत्री 25 मार्च -

  • प्रतिपदा के दिन मां शैलपुत्री का पूजन 25 मार्च को  किया जाएगा। मूलाधार में ध्यान कर इनके मंत्र को जपते हैं। धन-धान्य, ऐश्वर्य, सौभाग्य-आरोग्य तथा मोक्ष देने वाली माता मानी गई हैं।
  • मंत्र- ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नमः।

माता ब्रह्मचारिणी 26 मार्च  - 

  • स्वाधिष्ठान चक्र में ध्यान कर इनकी साधना की जाती है। संयम, तप, वैराग्य तथा विजय प्राप्ति की दायिका हैं।
  • मंत्र- ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः।

माता चंद्रघंटा 27 मार्च - 

  • मणिपुर चक्र में इनका ध्यान किया जाता है।कष्टों से मुक्ति तथा मोक्ष प्राप्ति के लिए इन्हें भजा जाता है।
  •  मंत्र- ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नमः।

माता कूष्मांडा 28 मार्च -

  • अनाहत चक्र में ध्यान कर इनकी साधना की जाती है। रोग, दोष,शोक की निवृति तथा यश, बल व आयु की दात्री मानी गई हैं।
  • मंत्र- ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नमः।

माता स्कंदमाता 29 मार्च - 

  • इनकी आराधना विशुद्ध चक्र में ध्यान कर की जाती है। यह सुख-शांति व मोक्ष की दायिनी हैं।
  • मंत्र- ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नमः।

माता कात्यायनी 30 मार्च - 

  • आज्ञा चक्र में ध्यान कर इनकी आराधना की जाती है। यह रोग,  शोक, संताप, मुक्ति तथा मोक्ष की दात्री देवी  हैं।
  • मंत्र- ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नमः।

माता कालरात्रि 31 मार्च - 

  • इनका ललाट में ध्यान किया जाता है। यह  शत्रुओं का नाशकर या बाधा दूर कर साधक को सुख शांति प्रदान कर मोक्ष देती हैं।
  • मंत्र- ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नमः।

माता महागौरी 1 अप्रैल - 

  • मस्तिष्क में ध्यान कर इनको जपा जाता है।इनकी साधना से अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं और असंभव से असंभव कार्य पूर्ण होते हैं।
  • मंत्र- ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नमः।

माता सिद्धिदात्री 2 अप्रैल - 

  • मध्य कपाल में इनका ध्यान किया जाता है।यह सभी सिद्धियां प्रदान करती हैं।
  • मंत्र- ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नमः|

कन्या पूजन की विधि और नियम-

  • कन्याओं की उम्र 3 से 10 साल तक होनी चाहिए। कन्याओं की संख्या 9 होनी चाहिए। इनके साथ एक बालक को बैठाने का भी प्रावधान है। इस बालक को भैरव बाबा के रूप में कन्याओं के बीच में बैठाया जाता है।
  • कन्याओं के घर में प्रवेश करने के बाद सबसे पहले उनके पैर धोने चाहिए। कन्याओं को साफ घर में ही बुलाना चाहिए। क्योंकि उन्हें नौ देवियां मानकर पूजा जा रहा है, इसीलिए घर की सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  •  कन्याओं को रोली लगाकर उनके हाथ पर कलावा जरूर बांधना चाहिए।
  •  कन्याओं को घी का दीपक दिखाकर उनकी आरती उतारनी चाहिए। 
  • इसके बाद कन्याओं को भोग लगाएं। भोग में हलवा-पूरी का होना उत्तम माना गया है।
  •  अंत में कन्याओं को भेंट दें एवं उनके पैर छूकर आशीर्वाद ले लेना चाहिए। 

नवरात्रि में हर दिन मां दुर्गा को विशेष भोग अर्पित किया जाता है नव दिवस भोग-

  • पहला दिन- केले
  • दूसरा दिन- देसी घी 
  • तीसरा दिन- नमकीन मक्खन
  • चौथा दिन- मिश्री
  • पांचवा दिन- खीर या दूध
  • छठा दिन- मालपुआ
  • सातवां दिन- शहद
  • आठवां दिन- गुड़िया नारियल
  • नवा दिन- धान का हलवा।

नौ दिन के नौ रंग - 

नवरात्रि में सौभाग्य की वृद्धि, मनचाही सफलता एवं माता रानी के आशीर्वाद के लिए 9 दिन तक अलग-अलग रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। 
  • 9 दिन वस्त्र के नौ रंग क्रमशः  हरा,  नीला, लाल, नारंगी, पीला, नीला, बैगनी, गुलाबी और  सुनहरा रंग।

मां देवी के नवरात्रि में वर्जित कार्य -

  • 9 दिनों तक नाखून ना काटें। दाढ़ी-मूछ, बाल ना कटवाएं।
  • अगर अखंड ज्योति जला रहे हैं, तो इन दिनों घर खाली ना छोड़ें।
  • अनाज एवं नमक का सेवन नहीं करें। 
  • फलाहार एक जगह पर बैठकर ग्रहण करें।
  •  तंबाकू सिगरेट शराब का सेवन नहीं करें।
  •  खाने  में प्याज, लहसुन और नॉनवेज ना खाएं।
  •  9 दिनों तक व्रत रखने वालों को काले कपड़े नहीं पहने चाहिए।
  • विष्णु पुराण के अनुसार नवरात्रि व्रत के समय में दिन में नहीं सोना चाहिए।
इन व्यसनों को करने से व्रत का प्रभाव खत्म हो जाता है।
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