व्यवसाय पर सूर्य का प्रभाव

जय माता दी। दोस्तों .......
सूर्य आकाश मंडल में सभी ग्रहों के मध्य में स्थित होकर सभी ग्रहों को रोशनी प्रदान करते हैं। जगत् को प्रकाशमान  करते हैं। सूर्य अंधकार का नाशक तथा अग्नि का गोला है। सूर्य में बड़े-बड़े ज्वालामुखी अणुओं का विस्फोट होता है। ज्योतिष में सूर्य को राजा माना गया है। सूर्य की किरणों की ऊष्मा समुद्र  में पड़ने के कारण उससे भाप उठती है,वह और वह भाप बादल के रूप में परिणीत होकर पृथ्वी पर पानी बरसाती है। सूर्य का प्रभाव जड़ी बूटियों पर पड़ता है। 
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  • यदि जन्मकुण्डली में सूर्य बलवान हो तो जातक  को उच्च पद तथा किसी बड़े क्षेत्र या प्रदेश में ख्याति प्रदान करता है। 
  • यदि सूर्य दशमेश हो या दशमेश से सम्बन्ध रखता हो अथवा बलवान होकर दशम स्थान में स्थित हो तो जातक राज्य अधिकारी, राजा, मंत्री या राज्यपाल इत्यादि हो जाता है। यदि मध्यम बली हो तो विभाग अधिकारी किन्तु यदि कमजोर हो तो कर्मचारी बनता है। 
  • यदि सूर्य एकादशेश  हो अथवा एकादशेश से संबंध रखता हो तो भी  जातक को राजा,  मंत्री या राज्यपाल तक बना देता है। 
  • यदि सुर्य चतुर्थेश से संबंध रखता हो तो जातक बड़े-बड़े भवन बनवाता है। यदि लग्नेश बलवान हो तो भवन जातक के अपने होते हैं, अन्यथा सरकारी भवनों का निर्माण करने वाला ठेकेदार होता है। ऐसा व्यक्ति जिस पर कृपा करें, उसके जीवन में प्रकाश भर देता है। 
  • सूर्य एक आग का गोला तथा मंगल व केतु भी अग्निकारक ही हैं। इस हेतु यदि सूर्य के साथ मंगल की युति हो तो जातक बन्दूक, तोप व गोला-बारूद सम्बन्धी कार्य करता है, क्योंकि मंगल को भूमि पुत्र कहा गया है। बारूद में डाले गए पृथ्वी के खनिज से अग्नि उत्पन्न होती है। 
  • यदि सूर्य, केतु व मंगल का सम्बन्ध हो तो जातक बिजली, दूरसंचार, रेडियो व टेलीविजन इत्यादि का कार्य करता है। यदि दशमेश से सम्बन्ध हो तो इसी प्रकार के कामों में सरकारी नौकरी किन्तु यदि मध्यम सम्बन्ध हो तो प्राइवेट नौकरी होती है। यदि सूर्य का एकादशेश से सम्बन्ध हो तो जातक की बिजली, टेलीविजन, रेडियो इत्यादि की दुकान होती है। 
  • वेदों में सूर्य को जगत का पिता कहा गया है। यदि सूर्य न हो तो इस पृथ्वी पर कुछ भी उत्पन्न नहीं हो सकता, इस हेतु सूर्य से पिता के विषय में ज्ञान प्राप्त किया जाता है। यदि लग्नेश दशमेश का सूर्य से सम्बन्ध हो तो जातक अपने पिता के साथ कार्य करने वाला अथवा पिता के कार्यों को ही स्वयं सम्भाल लेता है। 
  • यदि सूर्य का शनि व राहु से सम्बन्ध हो तो जातक वैद्याचार्य बनता है, क्योंकि शनि व राहु वनस्पति चिकित्सा के घोतक ग्रह हैं। 
  • यदि चंद्रमा का सम्बन्ध हो तो जातक आसव, अरिष्ट, अर्क व शर्बत इत्यादि ज्यादा बनाता है, क्योंकि चंद्रमा में जल का अंश ज्यादा होता है। 
  • सूर्य एक सात्विक ग्रह है, इस हेतु वृहस्पति या भाग्येश से इसका सम्बन्ध हो तो जातक धर्माशीश, मठाधीश अथवा मंदिर में पुजारी का कार्य करता है। यदि सूर्य पर दशमेश की दृष्टि हो तो जातक किसी संस्था का पुरोहित, धर्माचार्य या मठाधीश होकर वेतन से उस  पद का प्रतिनिधित्व करता है। 
  • सूर्य का एक गुण किसी भी वस्तु को सुखाना भी है। इस हेतु सूखे पदार्थों पर भी इसका प्रभाव होता है। यदि सूर्य का चतुर्थेश से सम्बन्ध हो तो जातक लकड़ी का कार्य करने वाला बढ़ई होता है। यदि बुध से सम्बन्ध और हो जाए तो अच्छा दस्तकार, लकड़ी पर चित्रकारी करने वाला भी हो जाता है। सूखे मेवा, सूखी लकड़ी, सूखी जड़ी-बूटियों से सम्बन्धित कार्यों पर इसका विचार करना चाहिए। 
  • उत्तम सूर्य जातक की यश-कीर्ति को चारों तरफ फैला देता है।
धन्यवाद 


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