गायत्री के अक्षरों की चैतन्य शक्ति और उनके कार्य।
ओउम् भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्।।
गायत्री वर्ण - देवता - शक्ति - कार्य
- तत् - गणेश - सफलता - विघ्नहरण, बुद्धि वृद्धि।
- स - नरसिंह - पराक्रम - पुरूषार्थ, पराक्रम, वीरता, शत्रुनाश, आतंक आक्रमण से रक्षा।
- वि - विष्णु - पालन - प्राणियों का पालन, आश्रित रक्षा।
- तुः - शिव - निश्चलता - आत्मपरायणता, मुक्तिदान, अनासक्ति, आत्मनिष्ठा।
- व - श्रीकृष्ण - योग -क्रियाशीलता, कर्मयोग, सौन्दर्य, सरलता।
- रे - राधा - प्रेम - प्रेम दृष्टि, द्वेषसमाप्ति।
- णि - लक्ष्मी - धन - धन, पद, यश और योग पदार्थ की प्राप्ति।
- यं - अग्नि - तेज - उष्णता, प्रकाश, सामर्थ्यवृद्धि, तेजस्विता।
- भ - इन्द्र - रक्षा - भूत-प्रेतादि अनिष्टाक्रमणों से रक्षा, शत्रु चोर से रक्षा।
- र्गो - सरस्वती - बुद्धि - मेधावृद्धि, बुद्धिपावित्र्य, चातुर्य, दूरदर्शिता, विवेकशीलता।
- दे - दुर्गा - दमन - विघ्नों पर विजय, दुष्टदमन, शत्रुसंहरण।
- व - हनुमान् - निष्ठा - कर्तव्यपरायणता, निर्भयता, ब्रह्मचर्य-निष्ठा।
- स्य - पृथ्वी - गम्भीरता - क्षमाशीलता, भारवहन क्षमता, सहिष्णुता।
- धी - सूर्य - प्राण - प्रकाश, आरोग्य वृद्धि।
- म - श्रीराम - मर्यादा - तितिक्षा, अविचलता, मर्यादा पालन, मैत्री।
- हि - श्रीसीता - तप - निर्विकारता, पवित्रता, शील, मधुरता।
- धि - चन्द्र - शान्ति - क्षोभ, उद्विग्नतादि का शमन, प्रसाद।
- यो - यम - काल - मृत्यु से निर्भयता, समय सदुपयोग, स्फूर्ति, जागरूकता।
- यो - ब्रह्मा - उत्पादन - उत्पादन वृद्धि, संतान वृद्धि।
- न: - वरुण - ईश - भावुकता, आर्द्राता, माधुर्य।
- प्र - नारायण - आदर्श - महत्वाकांक्षा वृद्धि, दिव्यगुण स्वभाव लाभ उज्जवल चरित्र।
- चो - हयग्रीव - साहस - उत्साह, वीरता, निर्भयता, विपदाओं से जूझने की वृत्ति।
- द - हंस - विवेक - उज्जवल कीर्ति, आत्मतुष्टि, दूरदर्शिता, सत्संगति।
- यात् - तुलसी - सेवा - सत्यनिष्ठा, पातिव्रत्यनिष्ठा, आत्मशान्ति, परकष्ट निवारण।
धन्यवाद।
एक टिप्पणी भेजें