कोरोना वायरस | मार्मिक अपील |

*19 मार्च से आगे 7-8 दिन यदि आप अपने को और अपने परिवार को कोरोना से बचा ले जायं, तो समझिए आधी से ज्यादा जंग को हमने जीत लिया। दरअसल 19 ता. से हमारे देश में कोरोना का तीसरा चरण प्रारम्भ होगा जिसे कम्यूनिटी इनफेक्शन कहते हैं। इस समय अन्तराल में कोरोना एक व्यक्ति से दूसरे में तेजी से फैलता है। इस समय यदि आपने अपने परिवार को बचा लिया तो जंग जीत सकते हैं।

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*खुद को व परिवार को बचाने के लिए होम* *आइसोलेशन अर्थात अपने घर पर ही रहना उचित है* *ऐसा करके आप स्वयं को और समाज को और* *देश को बचा सकते हो*

जिंदा रहना है तो सीरियस होना होगा वरना आने वाले दो सप्ताह की कल्पना मुश्किल होगी

मार्मिक अपील 

देश-दुनियां में कोई मुसीबत भारत के लोगों के मजाक, हंसी ठिठोली का साधन बन जाती है। पूरी दुनियां में कोहराम मचाए कोविड 19 का जितना मजाक भारत में बन रहा है।उसका आधा मजाक भी पूरी दुनियां के लोग मिलकर नहीं बना पा  रहे हैं। क्योंकि चीन, जापान, फ्रांस, इटली, ईरान समेत तमाम देशों ने अपनी आंखों के सामने अपनों की लाशें देखी हैं। उनको इसके खतरे का ना सिर्फ अंदाजा हुआ बल्कि उसे भुगता भी है। भारत में अभी सिर्फ तीन लाशें ही सामने आई हैं क्योंकि अभी हम वायरस फैलने के सैकंड स्टेज पर चल रहे हैं। कल्पना करना मुश्किल होगा जिस दिन ये तीसरी स्टेज पर पहुंची। जिन देशो में ये तीसरे चरण में पहुंचा उससे 100 गुना बुरी हालत भारत की होगी क्योंकि यहां के लोगों को इस वायरस के प्रकोप से बचने के बजाय उसकी मजाक बनाने में वक्त बीतता है। मेरे एक  मित्र ने कल मुझसे हाथ मिलाने की कोशिश की। मैने हाथ जोड़ दिए तो उन्होंने मेरा मजाक बनाने के लिए दूसरे व्यक्ति के गले मिल लिए। बोले, देखें मुझे कैसे होता है कोरोना। उनके इस अंदाज ने मुझे भारत में कोरोना  के वायरस के तीसरे स्टेज की कल्पना का भयावह दृश्य सामने ला दिया। वजह ये है कि विदेश में सरकार किसी पार्टी की हो लेकिन वो अपनी सरकार के प्रत्येक आदेश का गंभीरता से पालन करते हैं और जो पालन नहीं करते उनके साथ वहां की सेना पालन करवाना जानती है। हम जाति, धर्म, राज्य, राजनीति पार्टी और सेखी बघारने के लिए नियमों को तोड़ने में आनंदित होते हैं। मैं जानता हूं कि भारत सरकार, सभी राज्यों की सरकारें, स्वास्थ्य महकमा इस अंदेशे को भांप चुकी हैं। स्कूल, कॉलेज, ट्रेन, मॉल्, मंदिर सब धीरे-धीरे बंद हो रहे हैं लेकिन कुछ राक्षसी मानसिकता के  लोग जो इसे गंभीरता से नहीं समझना चाहते वे खुद भी मरेंगे और दूसरों को खतरे में डालेंगे। मेरा विनम्र आग्रह है कि सरकार जो भी कह रही है उसका पालन करें। हाथ साफ करें बार बार, किसी से हाथ ना मिलाएं। एक मीटर की दूरी से बात करें, साथ में खाना ना खाएं, कुछ अंदेशा हो तो चिकित्सक को दिखाएं। वरना जिस दिन मजाक बनाने वालों की मां, बाप, पत्नी, बेटा, बेटी या कोई और इसकी चपेट में आया उस दिन सारी मजाक धरी रह जाएगी और फिर चुनाव के वक्त् सरकार को कोसोगे कि सरकार ने हमारे परिजन की जान नहीं बचाई या पर्याप्त उपचार नहीं मिला। सरकार अभी इलाज के मामले में कई देशों से आगे हैं लेकिन जिस तरह वहां की जनता से वहां की सरकारों का साथ मिला उस तरह हम भी अपनी केन्द्र और अपनी-अपनी राज्य सरकार के आदेशों का पालन करें। गंभीर हो जाएं। वरना आने वाले दो सप्ताह बाद वो नजारा देखने को मिलेगा जिसकी कल्पना नहीं कर पाओगे। पता नहीं कल्पना करने लायक बचोगे भी या नहीं। पर अगर साथ दिया सही तरीके से चले खुद पर और परिवार पर ध्यान दिया तो हमारे डाक्टरों के पास इसक पूरा इलाज है। किन्तु वो सीमित संसाधनों के साथ । कुछ लोग ठीक करके घर भेज दिए हैं। जो भर्ती है उनमें से ज्यादातर की तबियत में सुधार हो रहा है। मेरा आप सभी से विनम्र निवेदन है कि प्लीज भविष्य को बचाने के लिए वर्तमान में थोडी सावधानी बरतें।
  • सलाम है डाक्टर-नर्सिंग स्टॉफ को
  • आज पूरे देश की शान हमारे चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ बन चुके हैं। खुद की जान खतरे में डॉक्टर कई घंटे और कई दिनों तक अपने घर से दूर रहकर आमजनों की जान बचाने में जुटे हैं। उनको सेल्यूट है। हम सब  उन चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ के परिवारों को सांत्वना और भरोसा दें।
  •  मैं इस कल्चर का विरोध नहीं कर रहा पर आग्रह है कि कुछ दिनों के लिए झुंड में न रहें, बैठें तो भी दूरी बनाकर, घरो में रहें। ताकि ना आप किसी को वायरस दे सको और ना आप अपने घर में दूसरे से वायरस ला सके।

क्या होगा अगर कुछ दिन ये नहीं करोगे तो

1. क्या होगा अगर कुछ दिन दोस्तों के साथ बात नहीं कर पाओगे, फोन पर कर लो
2. क्या होगा अगर कुछ दिन बाजार नहीं जाओगे, नंगे तो नही हो इतने कपड़े तो घर पर होंगे
3. क्या होगा अगर अपनी मांगें मनवाने के लिए कुछ दिन धरना-प्रदर्शन,  विरोध नही करोगे जब सब ठीक हो जाए तब कर लेना।
4. क्या हो जाएगा अगर कहीं घूमने नहीं जाओगे तो सब सामान्य हो जाए तब चले जाना।
5. क्या होगा अगर दिन में 10 बार हाथ धो लोगे।
6. क्या होगा अगर मजाक उड़ाने की बजाय लोगों को जागरुक करने के लिए मैसेज करोगे।
7. क्या होगा जो जागरुक मैसेज दूसरों को फॉरवर्ड करते हो उसका खुद भी पालन कर लोगे।
8. क्या फर्क पड़ता है कि सरकार किसकी है और वे क्या कह रहे हैं, मतलब इतना रखो वो आपके हित के लिए कर रहे हैं।
क्योंकि मौत ना जाति, ना धर्म, ना क्षेत्र, ना उम्र, ना राज्य, ना इलाका और ना लिंग और ना सूरत देखकर आती है।
इसलिए मेरी विनम्र अपील, अभी वक्त है मान जाओ। मेरी पोस्ट पढ़कर कुतर्क करने की बजाय जितने शब्द अच्छे लगें उसे  पालन कर लो। वरना कुछ लोगों के लिए लिखने वाले की पोस्ट पर कुतर्क और तर्क करने की आदत होती है। और तर्क-कुतर्क भी करना है तो कर लेंगे चार महीने बाद सब सामान्य हो जाएगा अभी अपनी, अपने परिवार, मित्र पड़ोसियों के हित में सोचें।।

धन्यवाद

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