क्यों पहना जाता है हीरा


जय माता दी। दोस्तों .........

हीरे को संस्कृत में व्रज, फारसी में अल्मास और अंग्रेजी में इसे डायमंड कहते हैं। वर्तमान युग में हीरे का स्थान सभी रत्नों में सर्वोपरि है। विशेषता यह है कि यह सबसे अधिक चमकदार होता है। शरीर के पसीने से इसकी चमक खराब नहीं होती है।अन्य मोती आदि खराब हो जाते हैं।

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हीरा कैसे बनता है 

  • सब रत्नों में सबसे अधिक कठोर हीरा होता है। इसकी उत्पत्ति के संबंध में बताया जाता है कि हीरा कोयले से बनता है। पृथ्वी तल में सदा परिवर्तन होता रहता है, जिसे हम देख नहीं पाते हैं। मिट्टी की अनेक किस्में होती हैं, चिकनी मिट्टी बनने के बाद उसमें कंकड़ पैदा होते हैं। इसी तरह अन्य प्रकार की मिट्टी के पत्थर से कोयला बनता है। यह कठोर कोयला ही पृथ्वी में पड़े-पड़े कभी हीरे का रूप धारण कर लेता है। कोयले से हीरा बनने की पृथ्वी तल में होने वाली प्रक्रिया में लाखों वर्ष लग जाते हैं। इसकी उत्पत्ति विशुद्ध कार्बन परमाणुओं पर एक विशिष्ट मानक तापक्रम पर भारी दबाव पड़ने से होती है। हीरा कठोर होने के कारण किसी अन्य धातु से खुर्चा नहीं जा सकता। परंतु अपनी कठोरता के कारण टूट भी जल्दी जाता है। हीरे के समांतर (तल) तह बनी होती हैं। उन तलों से यह चीरा जाता है
  • हीरा कठोर होने के कारण किसी अन्य धातु से काटा नहीं जा सकता। सर्वप्रथम भारतीय रत्न निर्माताओं ने ही हीरे के टुकड़े से हीरे को घिसकर अच्छी बनावट के नग बनाने की पद्धति का विकास किया था। आज उसका ही विकसित रूप बेल्जियम का बना हुआ ब्रिलियन्ट-कट के नाम से प्रसिद्ध है।
  • हीरा पृथ्वी तल में खानों को खोदकर निकाला जाता है। खानों से निकालकर विभिन्न आकार में इसे काटा तथा तराशा जाता है। इसके पश्चात हीरे पर पॉलिश की जाती है। हीरे की कटिंग और पाॅलिश के लिए बेल्जियम का नाम सर्वोपरि है। वर्तमान समय में यहां का हीरा आठ तिकोनी पहलुओं में बनाया जाता है। भूतकाल में तो भारत में हीरे का प्रसिद्ध इतिहास रहा है। विश्व विख्यात कोहिनूर हीरा भारत में ही पैदा हुआ थाउस हीरे को लगभग 5500 वर्ष पूर्व किसी राजा ने धर्मराज युधिष्ठिर को भेंट किया था। समयानुसार यह अनेक राजाओं और बादशाहों पर होता हुआ राजा रणजीत सिंह के पास पहुंचा। उन्होंने ब्रिटिश शासनकाल में अंग्रेजों को दे दिया। उस हीरे के दो टुकड़े कर एक बार बादशाह के ताज और एक सिंहासन में लगा दिया गया था। लंदन में यह आज भी मौजूद है। इस हीरे के समान बड़ा और मूल्यवान हीरा आज तक दूसरा पैदा नहीं हुआ। हीरा रत्नों का राजा है। खनिज पदार्थ में रत्न वे कहलाते हैं,  जिनमें तीन विशेष गुण हो- सुंदरता, टिकाऊपन और दुर्लभता। नेत्र के लिए सुंदर लगना रत्न के लिए पहला गुण हैं परंतु सुंदर होने पर जो शीघ्र ही टूट-फूट हो जाए, बिखर जाए, वह वस्तु संग्रह करने योग्य नहीं है। परंतु सुंदर भी हो और टिकाऊ भी हो और आसानी से सबको मिल जाए। सबको उपलब्ध होने के कारण वस्तु का महत्व नहीं रह जाता। उस वस्तु को संग्रह करने की इच्छा भी नहीं रह जाती।
  • कौटिल्य के प्रसिद्ध अर्थशास्त्र ग्रंथ में हीरे का विस्तार से वर्णन किया गया है। उत्पत्ति स्थान के अनुसार हीरे के विभिन्न विभिन्न नामों का रोचक वर्णन अर्थशास्त्र में मिलता है।कौटिल्य ने हीरे आदि प्रमुख रत्नों को राज्य के कोष अथवा दूसरे शब्दों में राज्य का मुख्य आधार ही बताया है। वह लिखते हैं-
आकार प्रभवः कोषः कोषक दण्ड प्रजायते।
पृथ्वी कोषद दण्डाभ्यां प्रप्यते कोष भूषणा।।

राजा का कोष खनिजों से भरता है, कोष होगा तो सेना होगी और जब सेना होगी तो उसी के द्वारा राज्य की प्राप्ति तथा उसकी रक्षा होगी।

हीरे का रंग -

  • पीली आभा लिए हुए हीरा कम मिलता है। भूरे बदामी रंग का हीरा होता है, जिसका मिलना ही दुर्लभ है। अधिकांश लाल या गुलाबी हीरे मिलते हैं।

आयुर्वेद में हीरा -

  • हीरे के अन्य रंग बताए गए हैं। अत्यंत सफेद, कमलासन, वनस्पति समान हरे रंग का, गेंदे के समान बसंती रंग का और नीलकंठ पक्षी के समान नीले रंग का, श्याम, तेलिया पितहरा
  • जो हीरा आठ कोण या धार वाला होता है अथवा छह कोण का तेज युक्त इंद्रधनुष के समान प्रकाशवान वह पुरुष जाति के लिए लाभदायक होता है।
  • जो हीरा लंबा, चपटा और गोल होता है वह स्त्री जाति के लिए गुणकारी है। हीरा रसायन के लिए उपयोग तथा सर्वसिद्धियों का प्रदाता है। रोगों को नष्ट करके स्वस्थ बनाने वाला होता है।
  • हीरे की भस्म आयु, पुष्टि, बल, वीर्य शरीर का सुंदर वर्ण तथा कामसुख की वृद्धि करता है। हीरा भस्म के सेवन करने से संपूर्ण रोग नष्ट होते हैं।

ज्योतिष में हीरा -

  • शुक्र ग्रह के कुपित होने से व्यक्ति को श्लोष्मिक पाण्डु, काम शक्ति दौर्बल्य, मूत्रकृच्छ तथा गुप्त यौन रोग उत्पन्न हो सकते हैं। 
  • शुक्र ग्रह कारक रोगों से ग्रसित व्यक्ति को हीरा धारण करना चाहिए।

हीरे के धारण करने से लाभ -

  • हीरा शुक्र ग्रह का रत्न होता है। जो लोग हीरे को धारण करते हैं, उनके चेहरे पर हर समय खिली हुई मुस्कान रहती है। झुंझलाहट और परेशानी उनके निकट नहीं आती। जीवन की दिनचर्या व्यवस्थित रहती है। 
  • इसके धारण करने से दांपत्य जीवन सरल हो जाता है। 
  • शरीर के अनेक रोगों पर भी हीरे की पकड़ होती है। जो लोग शरीर से कमजोर है, उनके लिए औषधि का काम करता है। इसके धारण करने से शरीर में शांति आती है। मानसिक दुर्बलता समाप्त होती है। नवीन चेतना का संचार होता है। प्रभाव में वृद्धि होती है। 
  • जीवन में जो विशेषताएं होनी चाहिए, अचानक मनुष्य में आने लगती हैं।

धारण विधि -

  • हीरा कम से कम 25 सेन्ट का धारण करना चाहिए। इससे अधिक वजन का धारण करना और भी उत्तम है। 
  • इस रत्न को चांदी की अंगूठी में जड़वाकर शुक्रवार के दिन सीधे हाथ में सुबह 8:00 बजे से पहले गंगाजल से धोकर अपने इष्टदेव का स्मरण कर तथा इष्टदेव के चरण स्पर्श कर धारण करना विशेष प्रभावशाली होता है।
धन्यवाद ।

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