पाप मोचिनी एकादशी 2021 व्रत कथा 

व्रत का महत्व -

इस व्रत को करने से व्यक्ति जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्त हो जाता है। वह आवागमन के चक्र से मुक्ति पा लेता है। प्राणी इस संसार में सब प्रकार के सुखों को भोगकर अंत मे विष्णु लोक को चला जाता है।

पाप मोचिनी एकादशी व्रत एवं कथा 7 अप्रैल 2021
paap mochini ekadsi

व्रत करने का समय-

यह उत्तम व्रत चैत्र मास, कृष्णा एकादशी को किया जाता है।

व्रत करने की विधि-

इस दिन भगवान विष्णु को अर्ध्य प्रदान करके उनकी षोडषोपचार से पूजा करनी चाहिए। अपनी
सामर्थ्यानुसार सुपात्र ब्राह्मणों को दान देना चाहिए।

व्रत सम्बन्धी कथा-

प्राचीन काल मे चित्ररथ नामक अत्यन्त  रमणीक वन था। उसी वन में देवराज इंद्र गंधर्व कन्याओं एवं देवताओं के साथ स्वच्छंद व्यवहार करते थे। उसी वन में मेधावी नामक ऋषि भी तप करते थे। ऋषि शैवोपापक तथा अप्सरायें शिवद्रोहिणी अनंग दासी(अनुचती) थीं।
एक बार की बात है रतिमाह कामदेव ने मेधावी मुनि का तप भंग करने हेतु मंजुधोसा नामक अप्सरा को नृत्यगान
करने हेतु उनके सामने भेजा। युवावस्था वाले ऋषि अप्सरा के हाव भाव, नृत्य, गीत एवं कटाक्षों पर काम मोहित हो गए।उन्होंने रति क्रीड़ा करते हुए 57 वर्ष हो गए।
मंजुधोसा ने एक रोज स्वस्नान गमनार्थ आज्ञा मांगी। आज्ञा मांगने पर मुनि के कानों पर चींटी दौड़ी तथा उन्हें आत्मज्ञान हुआ। उन्हें रसातल में पहुँचाने का एकमात्र कारण मंजुधोसा को समझकर मुनि ने उसे पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया। श्राप सुनकर मंजुधोषा ने वायु द्वारा प्रताड़ित केले के पत्ते की तरह कांपते हुए अपनी मुक्ति का उपाय पूछा। मुनि ने उन पर कृपा करके पाप मोचिनी एकादशी का व्रत करने को कहा। उसे मुक्ति विधान बताकर मेधावी ऋषि पिता ऋषि च्यवन के आश्रम में गए।
श्राप की बात सुनकर च्यवन ऋषि ने अपने पुत्र की घोर निंदा की तथा उन्हें चैत्र मास की पाप मोचिनी एकादशी का व्रत रखने की आज्ञा दी। इस उत्तम व्रत के प्रभाव से मंजुधोषा ने पिशाचिनी योनि से तथा मेधावी ऋषि ने पापों से मुक्ति प्राप्त की। वे दोनों पूर्ववत् हो गए। इस प्रकार इस व्रत को करके दोनों ही स्वर्ग के अधिकारी बने।
धन्यवाद।
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