शुभ-अशुभ शकुन विचार और समाधान

जय माता दी । दोस्तों.....

ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि में शुभ-अशुभ शकुन का बड़ा महत्व है। अशुभ गुणों के निराकरण के उपाय भी ज्योतिषशास्त्र में बताए गए हैं तथा उनकी मान्यता आज भी हमारे समाज में है। इसके अनुसार ही हमारे बुजुर्ग यात्रा आदि सभी कार्य करते थे। तो आइये आज जानते हैं हिंदू समाज में प्रचलित कुछ शुभ-अशुभ शकुनों के बारे में-

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यात्रा के समय शुभ अशुभ शकुन विचार -

  • सोमवार, शनिवार को पूर्व दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। 
  • मंगलवार एवं बुधवार को उत्तर दिशा में यात्रा करना काल को आमंत्रण देना माना जाता है। 
  • रविवार एवं शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा करने से हानि होती है तथा दुख प्राप्त होता है। 
  • गुरुवार को दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए क्योंकि यात्रा से वापस आने की संभावना कम रहती है। 

समाधान -

  • यदि इन उपयुक्त दिन एवं दिशा में यात्रा करना आवश्यक हो, तो निम्नानुसार यात्रा की जा सकती है
  • सोमवार एवं शनिवार को पूर्व की यात्रा करने की स्थिति में यात्रा करने वाले को क्रमशः दूध का पान कर ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए यात्रा करनी चाहिए। 
  • शनिवार को उड़द के दाने पूर्व दिशा में चढ़ाकर तथा कुछ दाने खाकर यात्रा करें एवं यात्रा के समय शनि गायत्री का पाठ करते रहें।
  • मंगलवार एवं बुधवार को यात्रा करना जरूरी हो, तो मंगलवार को गुड़ का दान करें कुछ गुड़ मुहं में धारण करें। तथा मंगल गायत्री का जाप करें।
  • बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा आवश्यक हो, तो तिल एवं गुड़ का दान करें एवं उसी से बने पकवान का भोजन कर यात्रा करें। यात्रा के पूर्व पांच बार बुध गायत्री का पाठ कर यात्रा करनी चाहिए।
  • ज्योतिष शास्त्र के मतानुसार रविवार एवं शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा करना निषिद्ध बताया गया है फिर भी अत्यंत आवश्यक हो जाने पर यात्रा करनी हो, तो उपाय कर यात्रा की जा सकती है। 
  • रविवार को पश्चिम में यात्रा करने के पूर्व शुद्ध  गाय का घी लेकर पूर्व दिशा की ओर मुंह कर हवन करें। यात्रा से पूर्व घी का पान करें एवं कन्याओं को दक्षिणा देकर सूर्य गायत्री का जाप करते हुए यात्रा प्रारंभ करें।
  • गुरुवार को दक्षिण दिशा में यात्रा करना सर्वथा वर्जित  है किंतु आवश्यक कार्य हेतु यात्रा करना जरूरी हो गया हो, तो निम्न उपाय कर यात्रा की जा सकती है। गुरुवार को यात्रा के पूर्व दक्षिण दिशा में पांच पके हुए नींबू सूर्योदय से पूर्व स्नान कर गीले कपड़े में लपेट कर फेंक दें। 
  • यात्रा से पूर्व दही का सेवन करें तथा शहद, शक्कर एवं नमक तीनों को संभाग में मिलाकर हवन करें और गुरूगायत्री का जाप कर यात्रा प्रारंभ करें।

यात्रा के समय अशुभ शगुन -

  • यात्रा के समय घर से निकलते ही यदि निम्न में से कोई दृष्टिगोचर हो जाए, तो यात्रा रोक देनी चाहिए | 
  • वन्धया स्त्री, काला कपड़ा, हड्डी, सर्प, नमक, अंगार, विष्ठा, चर्बी, तेल, उन्मत्त पुरुष, रोगी, जलता गृह, बिलाव युद्ध, लाल वस्त्र, सामने खाली घड़ा,भैंसों की लड़ाई, बिल्ली द्वारा रास्ता काटना आदि।

यात्रा के समय शुभ शगुन -

  • यात्रा पर घर से निकलते ही यदि निम्न में से कोई भी दिखाई दे तो ज्योतिष के अनुसार शुभ शगुन माना गया है | 
  • ब्राह्मण, हाथी, घोड़ा, गौ, फल, दूध, दही, कमल पुष्प, सफेद वस्तु, वेश्या, वाद्य,  मयूर, नेवला, सिंहासन, जलता दीपक, गोद में शिशु लिए हुए स्त्री, नीलकंठ पक्षी, चंपा के पुष्प, कन्या,  शुभ वचन , जल भरा हुआ घड़ा, घी गन्ना, सफेद बैल, वेद ध्वनि, मंगल गीत आदि।

यात्रा के समय छींक का शकुन -

  • यात्रा के समय छींक भी शुभ-अशुभ शकुन का संकेत देती है। 
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ कार्य ऐसे भी हैं जिनके करते समय यदि छींक आती है तो अशुभ होते हुए भी वह शुभ मानी जाती है। 
  • जैसे - आसन, शयन, शौच, दान, भोजन, औषधि सेवन, विद्या आरंभ, बीजारोपण,  युद्ध या विवाह  में जाते वक्त बायीं ओर या पृष्ठभाग में छींक शुभ मानी जाती है।

छिपकली के गिरने पर शुभ-अशुभ शकुन विचार -

  • छिपकली का शरीर के किसी भी भाग में गिरना शुभ-अशुभ शकुन का संकेत होता है। 
  • ज्योतिष के अनुसार - सिर पर छिपकली गिरने पर धन लाभ का संकेत है। 
  • ललाट पर- बंधु दर्शन, 
  • भौंह के मध्य - राज सम्मान, 
  • नासिका - धन प्राप्ति, 
  • दाहिनी भुजा - नृप समागम, 
  • बाई भुजा - राजभय,  
  • उदर-  भूषण लाभ, 
  • पीठ-  बुद्धिनाश, 
  • दोनों हाथ - वस्त्र लाभ,  
  • कंधा - विजय,  
  • दाहिना मणिबंध - भय, धनहानि, कष्ट,  
  • वाम मणिबंध - अपकीर्ति,  
  • मुख पर - मीठा भोजन, 
  • दाहिना पैर - यात्रा, 
  • बाया पैर- बंधु नाश।
नोट-  पुरुष के दाहिने अंग में  तथा स्त्री के बाएं अंग में छिपकली का गिरना शुभ माना गया है।

अंगों के फड़कने पर शुभ-अशुभ शकुन एवं उनका फल-

  • मस्तक फड़कने पर - भूमि लाभ, 
  • ललाट फड़कने पर स्थान लाभ, 
  • दोनों कंधे फड़कने पर- भोग,  
  • भौंह मध्य फड़कने पर-सुख, 
  • दोनों भौंह के फड़कने पर - महान सुख,  
  • नेत्रों के फड़कने पर - धन प्राप्ति, 
  • नासिका स्फुरण- प्रीति, सुख, 
  • नेत्र कोण फड़कने पर- स्त्री लाभ, 
  • वक्षःस्थल फड़कने पर - विजय,  
  • ह्रदय फड़कने पर - कार्य सिद्धि, 
  • कमर फड़कने पर - प्रमोद, 
  • नाभि- स्त्री नाश, 
  • उदर- धन लाभ,  
  • ओठ- मनचाही वस्तु की प्राप्ति। 
नोट - पुरुष का दाहिना अंग और  स्त्री का बायां अंग फड़कना शुभ होता है, किंतु स्त्री की भुजा एवं नेत्रों का फल विपरित होता है।
धन्यवाद ।
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