शुक्र ग्रह शांति हेतु उपाय।

जय माता दी | दोस्तों...... 
अशुभ ग्रहों की शांति हेतु ऋषि-महर्षियों ने मंत्र का जप, अनुष्ठान, दान, ग्रह दोष शमन यंत्र, रत्न-उपरत्न, ग्रहों से सम्बन्धित जड़,  मूल, काष्ठ आदि धारण का विधान बताया है। जिसके करने से अशुभ ग्रहों की पीड़ा शांत होती    है।

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शुक्र का 'पूर्व में' (श्वेत पंचकोण ) पर ध्यान करें-

एकाक्षरी बीज मन्त्र -

  • ॐ शुं शुक्राय नमः।

हवन हेतु समिधा -

  • ओदुम्बर (गूलर)।

मंत्र संख्या -

  • एक लाख जप करवाएं।

दान द्रव्य -

  • दूध, दही, चावल, मिश्री, हीरा, सोना, चांदी, चन्दन, सफेद फल- फूल, रंगीन लुभावने उत्तम वस्त्र।

रत्न धारण व दान का समय -

  • अरुणोदय काल  (सूर्योदय से पहले)

दिन -

  • शुक्रवार।

धारणीय रत्न -

  • हीरा तीन रत्ती से लेकर ग्यारह रत्ती तक धारण करें। अंगूठी में धारण करने के समय से सात वर्ष तक हीरे का प्रभाव रहता है। इसके बाद उसे पुनः जागृत करके पहनें।

धारणीय जड़ी -

  • ओदुम्बर या सिंह पुच्छ का मूल।

शुक्र शांति हेतु अन्य उपाय -

जन्म कुण्डली एवं गोचर के अनुसार-

प्रथम भाव -

  • प्रथम भाव में अनिष्टकारी हो तो दिन में स्त्री समागम न करें। 
  • कन्यादान के समय अपने ससुराल से चांदी अवश्य लें। 
  • गुड़ का सेवन न करें तथा किसी गरीब की सेवा करें और उसको दूध का दान दें।

द्वितीय भाव -

  • द्वितीय भाव अनिष्टकारी हो तो दो किलो आलू को उबालकर गाय को खिलाएं। 
  • सफेद गाय का दान दें, या गाय के पीले घी का दान मंदिर में करें।

तृतीय भाव -

  • तृतीय भाव में हानिप्रद हो तो अपने नाम का मकान या दुकान न बनवाएं। 
  • घर पर संगीत से सम्बन्धित ढोलक, तबला या हारमोनियम न रखें। 
  • इसका प्रयोग मन्दिर में करें तथा मन्दिर में दही, चावल व चीनी का दान करें।

चतुर्थ भाव -

  • चतुर्थ भाव में हानिप्रद हो तो मंदिर बनवाने के लिए भूमि दान करें। 
  • सामर्थ्य न हो तो भवन में लगने वाली सामग्री का दान करें। 
  • धन हानि से बचने हेतु आडू की गिटक में काला सुरमा भर के भूमि में दबाएं।

पंचम भाव -

  • पंचम भाव में हानिप्रद हो तो पति-पत्नी अपने गुप्तांगों को दही या दूध से तेंतालीस दिन तक धोयें। 
  • प्रेम विवाह न करें। 
  • स्त्री अपने सिर के बाल न कटवाएं। 
  • गाय और माता की सेवा करें। 
  • पितृ ऋण का उपाय करने के लिए मन्दिर में ग्रंथों का दान करें।

षष्ठ भाव -

  • षष्ठ भाव में हानिप्रद हो तो पत्नी के सिर के बालों की पिन सोने का लगवाएं। 
  • नंगे पैर न घूमे व किसी गरीब को लकड़ी, लाठी व जूते दान करें।

सप्तम भाव -

  • सप्तम भाव में हानिप्रद हो तो जातक की पत्नी नीले- काले कपड़े न पहनें। कांसे के बर्तन मन्दिर में दान करें
  • अपनी सुसराल के किसी व्यक्ति के साथ साझेदारी में कार्य न करें। 
  • पत्नी की सेवा करें।

अष्टम भाव -

  • अष्टम भाव में हानिप्रद हो तो तेंतालीस दिन तक गंदे नाले में नीले फूल या तांबे का पैसा डालें। 
  • पत्नी का स्वास्थ्य खराब हो तो उसके वजन के बराबर चीनी, चावल मन्दिर में दान दें।

नवम भाव -

  • नवम भाव में हानिप्रद हो तो नीम के पेड़ के नीचे या मकान की नींव में चांदी के चौरस टुकड़े दबाएं। 
  • पत्नी के हाथ के कड़े सोने के बनवाएं। 
  • नित्य मन्दिर में पूजा करें।

दशम भाव -

  • दशम भाव में हानिप्रद हो तो चरित्रवान बनकर पिता की सेवा करें। 
  • बादाम का दान करें।

एकादश भाव -

  • एकादश भाव में हानिप्रद हो तो स्त्री को घर का मुखिया न बनाएं।

द्वादश भाव -

  • द्वादश भाव में हानिप्रद हो तो गाय की सेवा करें। 
  • पत्नी के हाथ से दान कराएं।
नोट -
  • सभी प्रकार के शुक्र के हानिप्रद होने पर किसी जरूरतमंद की सेवा करना अति उत्तम है। 
  • उससे अति शीघ्र ही शुक्र का कुप्रभाव खत्म हो जाता है। गौशाला में जौ, गेहूं का आटा, खल, खांड, सफेद बिनोला, ज्वार तथा ग्वार का दान करें।

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