राहु ग्रह की शान्ति के उपाय।
जय माता दी। दोस्तों .........
अशुभ ग्रहों की शांति हेतु ऋषि-महर्षियों ने मंत्र का जप, अनुष्ठान, दान, ग्रह दोष शमन यंत्र, रत्न-उपरत्न, ग्रहों से सम्बन्धित जड़, मूल, काष्ठ आदि धारण का विधान बताया है। जिसके करने से अशुभ ग्रहों की पीड़ा शांत होती है।
rahu dev |
राहु का 'नैर्ऋत्य कोण' में ( काला मकर ) का आकार ध्यान करें-
एकाक्षरी बीज मन्त्र -
- ॐ रां राहवे नमः।
हवन हेतु समिधा -
- दूर्वा ( दूब, घास )
दान का दिन व समय -
- बुधवार रात्रि 9:00 बजे के बाद।
दान द्रव्य -
- नीला वस्त्र, सरसों का तेल, छाज (सूप), सीसा, गोमेद, सोना, काले तिल, काला घोड़ा, काले फल-फूल, कम्बल व ऊनी वस्त्र, तलवार।
रत्न -
- गोमेद रत्न।
वजन -
- चार रत्ती से कम वजन का गोमेद अंगूठी में निष्फल होता है तथा 6 रत्ती से ऊपर का गोमेद धारण करना चाहिए।
उपरत्न -
- लाजवर्त, संगतुरसावा, संग साफी।
धारणीय जड़ी -
- कुश ( डाब की जड़ ) या श्वेत चंदन अथवा दूर्वा की जड़।
गोमेद का कार्यकाल -
- गोमेद धारण करने से तीन वर्ष तक प्रभावित रहता है। उसके बाद उसे दोबारा जागृत करके पहनें।
राहु शान्ति हेतु अन्य उपाय -
जन्म लग्न या गोचर के अनुसार -
प्रथम भाव -
- प्रथम भाव में हानिप्रद हो तो चांदी के चौरस टुकड़े पर राहु यन्त्र बनाकर गले में धारण करें।
- गेहूं का आटा, गुड़ तथा चांदी मन्दिर में दान करें।
- बिल्ली की जेर बादामी रंग के कपड़े में बांधकर घर में रखें तथा किसी जरूरतमंद को खुले रुपयों के सिक्के दान करें।
द्वितीय भाव -
- द्वितीय भाव में हानिप्रद हो तो चांदी की ठोस गोलियां बनाकर अपने पास रखें।
- सरसों के तेल का दान करें।
- ससुराल से कोई बिजली का सामान न लें।
- हाथी के पैरों के नीचे की मिट्टी लेकर कुए में डालें।
तृतीय भाव -
- तृतीय भाव में हानिप्रद हो तो चांदी का हाथी बनवाकर मन्दिर में दान में दें।
- घर में हाथी दांत न रखें।
- कम्बल किसी जरूरतमंद को दान में दें।
चतुर्थ भाव -
- चतुर्थ भाव में हानिप्रद हो तो माता की सेवा करें।
- 400 ग्राम जौ और 1700 ग्राम दूध पानी में प्रवाह करें अथवा 400 ग्राम धनिया या साबुत बादाम गंगाजी में स्नानकर प्रवाहित करें।
- किसी जरूरतमंद को छाज का दान करें।
पंचम भाव -
- पंचम भाव में हानिप्रद हो तो चांदी का हाथी बनाकर घर में रखें।
- घर के प्रवेश द्वार की दहलीज के नीचे चांदी की चौरस पट्टी दबाएं।
- अपनी पत्नी से विधिपूर्वक दोबारा विवाह करें।
षष्ठ भाव -
- षष्ठ भाव में हानिकारक हो तो अपनी जेब में काली कांच या सिक्का की गोली रखें।
- देशी काला कुत्ता पालें और भाइयों से प्रेम करें।
- नीला वस्त्र दान करें।
सप्तम भाव -
- सप्तम भाव में हानिप्रद हो तो सात नारियल शनिवार व बुधवार के दिन नदी में प्रवाह करें।
- टीन के डिब्बे में गंगाजल भरकर उसमें चांदी का टुकड़ा डालें और उसका मुंह बंद करवाकर घर में रखें।
- ससुराल के किसी सदस्य के साथ साझा व्यापार न करें।
अष्टम भाव -
- अष्टम भाव में हानिप्रद हो तो दक्षिण दिशा की दीवार के बराबर चूल्हा न रखें।
- बादाम का दान करें।
नवम भाव -
- नवम भाव में हानिप्रद हो तो प्रतिदिन मन्दिर में जाएं।
- काला कुत्ता पालें परंतु किसी से लड़ाई-झगड़ा न करें।
- पत्नी की सेवा करें।
- रजाई-गद्दा का दान करें।
दशम भाव -
- दशम भाव में हानिप्रद हो तो नंगे सिर न घूमें। नीले-काले वस्त्र न पहनें।
- दस अन्धे लोगों को भोजन खिलाएं और वाहन दान करें।
एकादश भाव -
- एकादश भाव में हानिप्रद हो तो किसी जरूरतमंद की सेवा करें।
- दो नारियल तथा दो सिक्के चलते पानी में प्रवाह करें।
- लोहे का कड़ा ( छल्ला ) पहनें।
द्वादश भाव -
- द्वादश भाव में हानिप्रद हो तो काले कपड़े की अलग-अलग थैली में सौंफ, चीनी तथा लाल मूंग भरकर रात को अपने सिरहाने रखें।
- रसोई में बैठकर खाना खाएं और चाकू दान करें।
नोट -
- हर प्रकार से यदि राहु अनिष्टकारी हो तो मन्त्रों का जप, हवन तथा प्रतिदिन मछलियों को आटे की गोली खिलाना चाहिए।
- सरस्वती जी की आराधना करनी चाहिए |
- गौशाला में को छिलका, चूरा, खल, बिनौला, चारा दान करें।
धन्यवाद।
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