अंगूठा और अँगुलियों से जानिये मानव चरित्र

प्रणाम दोस्तों...मैं आचार्य अर्जुन आपके लिए रोज नई एवं उपयोगी पोस्ट लिखता रहता हूँ। आज मै इस ब्लॉग के माध्यम से आपके लिए हस्तरेखा विज्ञान  के अन्तर्गत कुछ रोचक और मानव चरित्र से सम्बन्धित पोस्ट लाया हूँ। आगे भी इससे सम्बन्धित पोस्ट लाता रहूँगा। तो चलिए आज कुछ नया जानते हैं-
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अंगूठा-

अंगूठे के पोरवे और मानव चरित्र-

➤ अंगूठे का पहला पोरवा( नाखून वाला भाग) इच्छाशक्ति का प्रतीक है ।
➤ दूसरा पोरवा तर्क,  न्याय की भावना और विवेक आदि का प्रतीक है । 
➤ लम्बे पोरवे इन गुणों में वृद्धि करते हैं।
➤ यदि ये पोरवे छोटे होते हैं तो यह गुण कम हो जाते हैं।

अंगूठे की लम्बाई और मानव चरित्र-

➤ अंगूठे से मानव चरित्र का अध्ययन करने के लिए उसकी स्थिति,  लम्बाई एवं लचीलापन देखना आवश्यक है । ➤ अंगूठे की लम्बाई देखने के लिए हाथ को किसी समतल स्थान पर इस तरह फैलाकर रखना चाहिए कि अंगूठा तर्जनी अंगुली से मिला रहे ।
➤ यदि अंगूठा अंगुली के दूसरे पोरवे के नीचे के भाग के जोड़ तक पहुँचे तो अंगूठा लम्बा है । 
➤ यदि अंगूठा तीसरे पोरवे के मध्य तक ही पहुंचे तो इसे सामान्य लम्बाई  का होता है।
यदि मध्य भाग से नीचा रहे तो इसे छोटा कहा जाएगा। 
➤ लम्बा अंगूठा शक्ति का परिचय देता है । 
➤ यदि किसी व्यक्ति के अँगूठे के दोनों पोरवे समान लम्बाई के हों तो वह अत्यंत दृढ़ संकल्प वाला होता है। उसमें तर्क करने की क्षमता भी बहुत होती है । 
➤ छोटे अंगूठे वाले व्यक्तियों में तर्क शक्ति,  इच्छाशक्ति और कार्यशक्ति प्रायः कम होती है । 
➤ सपाट अंगूठे वाला व्यक्ति चतुर तो नही होता,  परन्तु किसी भी काम में सोच समझ कर हाथ डालना उसका स्वभाव होता है ।
➤ चौड़े और मोटे अंगूठे वाले व्यक्ति उग्र स्वभाव के होते हैं।
अंगूठे का झुकाव और मानव चरित्र-
➤ अंगुलियां बन्द करके अंगूठे को पूरा खोलकर फैलाने पर यदि अंगूठा हाथ के निकट रहता है तो ऐसा व्यक्ति कोई स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सकता है । उसे प्रत्येक महत्वपूर्ण कार्य के लिए किसी दूसरे व्यक्ति की सहायता की आवश्यकता पड़ती है ।
➤ यदि अंगूठा हाथ से दूर रहता है तो उस व्यक्ति में स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता होती है ।
अंगूठे का लचीलापन और मानव चरित्र-
➤ लचीले अंगूठे का व्यक्ति व्यवहार कुशल नहीं होता वह फिजुलखर्ची और आमोद-प्रमोद में लगा रहता है ।
➤ यदि अंगूठा लचक रहित तथा लकड़ी की तरह कठोर हो तो व्यक्ति व्यवहार कुशल ही नहीं होता बल्कि वह दूसरे व्यक्ति का मार्गदर्शन भी करता है।

अंगुलियां-

➤ अंगुलियों के जोड़ अंगुलियों को तीन भाग में बांटते हैं, उन तीनों भागों से ही मानव चरित्र को समझा जा सकता है।
➤ नाखून वाला पोरवा लम्बा हो तो मनुष्य आदर्शवादी होता है ।
➤ यदि अंगुली के बीच का पोरवा लम्बा हो तो व्यक्ति प्रेम, तर्क एवं बुद्धि प्रधान होता है।
➤ यदि अंगुली के सबसे नीचे का पोरवा लम्बा हो तो व्यक्ति में भौतिक वस्तुओं का उपयोग करने की तीव्र इच्छा होती है।
➤ यदि यह पोरवा मोटा एवं मांसल हो तो व्यक्ति विलासी एवं आरामपसन्द होता है। 

अंगुलियों का लचीलापन और मानव चरित्र-

➤ कठोर अंगुलियां इस बात का संकेत देती हैं कि व्यक्ति कायर और शंकालु है।
➤ यदि अंगुलियां पीछे की ओर मुड़ जाएं  तथा अंगूठा भी लचीला हो तो व्यक्ति चतुर, प्राकृतिक सौंदर्य प्रेमी तथा फिजुलखर्च एवं लापरवाह होता है।

अंगुलियों की लम्बाई और मानव चरित्र-

➤ प्रथम अंगुली को तर्जनी, दूसरी अंगुली को मध्यमा, तीसरी अंगुली को अनामिका और  सबसे छोटी अंगुली को कनिष्ठा कहा जाता है।

तर्जनी अंगुली-

➤ यदि तर्जनी अंगुली सामान्य से लम्बी हो तो व्यक्ति मेः सन्तान प्राप्ति की लालसा होती है।
➤ यदि यह अंगुली छोटी हो तो व्यक्ति किसी भी तरह का उत्तरदायित्व लेने से बचता है।
➤ जब यह अंगुली टेढ़ी हो तो ऐसे व्यक्ति को कभी प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं होती।

मध्यमा अंगुली-

➤ यदि मध्यमा अंगुली लम्बी हो तो व्यक्ति बुद्धिमान, अध्ययनशील एवं एकान्त प्रिय होता है।
➤ यदि मध्यमा अंगुली छोटी होती है तो यह मनुष्य में निहित ओछी भावना की ओर संकेत करती है।
➤ यदि मध्यमा अंगुली टेढ़ी हो तो वह हिंसात्मक प्रवृत्ति अथवा हिस्टीरिया रोग की परिचायक है।

अनामिका अंगुली-

➤ असाधारण रूप से लम्बी अनामिका सौंदर्य प्रेम एवं मान-सम्मान की इच्छा प्रदर्शित करती है।
➤ यदि अनामिका अंगुली बहुत लम्बी हो तो व्यक्ति जुआरी और सट्टेबाज होता है ।
➤ अनामिका अंगुली के टेढ़ी होने पर व्यक्ति लालची होता है । वह अपनी कला से धनोपार्जन करता है।

कनिष्ठिका अंगुली-

➤ कनिष्ठिका अंगुली के लम्बी होने पर व्यक्ति बुद्धिमान होता है। वह अनेक भाषाओं में पारंगत होता है।
➤ यदि कनिष्ठिका अंगुली टेढ़ी हो तो व्यक्ति अपने आदर्शों का दुरुपयोग करता है।
➤ कनिष्ठिका अंगुली के छोटी होने पर व्यक्ति अपने भावों को भली-भांति अभिव्यक्त नहीं कर पाता।
➤ यदि कनिष्ठिका अंगुली टेढ़ी हो और मस्तिष्क रेखा भी अनियमित हो तो व्यक्ति बेईमानी करने में तनिक भी संकोच नहीं करता।

अंगुली का झुकाव और मानव चरित्र-

➤ जब अंगुलियां एक-दूसरे की ओर झुकी होतीं है तो व्यक्ति में उन अंगुलियों का प्रभाव आ जाता है जिनकी ओर वह झुकी होती हैं।
➤ जब अंगूठे और तर्जनी के मध्य अधिक दूरी हो तो व्यक्ति निर्भीक और स्वतंत्र प्रकृति का होता है।
➤  यदि यह दूरी 45 अंश से कम का कोण बनाती हो तो व्यक्ति कंजूस होता है।
➤ यदि यह कोण 90 अंश का हो तो व्यक्ति सोच-समझकर रूपया खर्च करता है।
➤ यदि कोण इससे बड़ा हो तो व्यक्ति फिजुलखर्ची होता है।
➤ तर्जनी और मध्यमा अंगुलियों के बीच का अधिक अन्तर स्वतंत्र विचारधारा का,  मध्यमा और अनामिका के मध्य का अधिक अन्तर धैर्यवान प्रकृति का तथा अनामिका एवं कनिष्ठिका के मध्य का अधिक अन्तर निरंकुश प्रवृत्ति का परिचायक है।

अंगुलियों के जोड़ और मानव चरित्र-

➤ जिन लोगों की अंगुलियों के जोड़ चिकने होते हैं, वह आसानी से किसी भी भावना में बह जाते हैं और बिना सोचे समझे किसी भी काम में हाथ डाल देते हैं।
➤ यदि हाथ वर्गाकार हो तो यह अवगुण कम हो जाता है।
➤ चिकने जोड़ों तथा नुकीली अंगुली वाले व्यक्ति प्रायः आदर्शवादी होते हैं।
➤ गांठदार अंगुली वाले व्यक्ति प्रत्येक कार्य को बहुत सोच-समझकर करते हैं। वह विवेकशील और विचारवान होते हैं।
धन्यवाद ।

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